भजन संहिता 81

81
परमेश्‍वर की भलाई और इस्राएल का हठ
प्रधान बजानेवाले के लिये : गित्तीथ राग में आसाप का भजन।
1परमेश्‍वर जो हमारा बल है,
उसका गीत आनन्द से गाओ;
याकूब के परमेश्‍वर का जयजयकार
करो!
2भजन उठाओ, डफ और मधुर बजनेवाली
वीणा और सारंगी को ले आओ।
3नये चाँद के दिन,
और पूर्णमासी को हमारे पर्व के दिन
नरसिंगा फूँको।#गिन 10:10
4क्योंकि यह इस्राएल के लिये विधि,
और याकूब के परमेश्‍वर का ठहराया
हुआ नियम है।
5इसको उसने यूसुफ में चितौनी की
रीति पर उस समय चलाया,
जब वह मिस्र देश के विरुद्ध चला।
वहाँ मैं ने एक अनजानी भाषा सुनी :
6“मैं ने उनके कन्धों पर से बोझ को उतार दिया;
उनका टोकरी ढोना छूट गया।
7तू ने संकट में पड़कर पुकारा, तब मैं ने
तुझे छुड़ाया;
बादल गरजने के गुप्‍त स्थान में से
मैं ने तेरी सुनी,
और मरीबा नामक सोते के पास
तेरी परीक्षा की।#निर्ग 17:7; गिन 20:13 (सेला)
8हे मेरी प्रजा, सुन, मैं तुझे चिता देता हूँ!
हे इस्राएल, भला हो कि तू मेरी सुने!
9तेरे बीच में पराया ईश्‍वर न हो;
और न तू किसी पराए देवता को
दण्डवत् करना।
10तेरा परमेश्‍वर यहोवा मैं हूँ,
जो तुझे मिस्र देश से निकाल लाया है।#निर्ग 20:2,3; व्य 5:6,7
तू अपना मुँह पसार, मैं उसे भर दूँगा।
11“परन्तु मेरी प्रजा ने मेरी न सुनी;
इस्राएल ने मुझ को न चाहा।
12इसलिये मैं ने उसको उसके मन के हठ
पर छोड़ दिया,
कि वह अपनी ही युक्‍तियों के अनुसार चले।
13यदि मेरी प्रजा मेरी सुने,
यदि इस्राएल मेरे मार्गों पर चले,
14तो मैं क्षण भर में उनके शत्रुओं को दबाऊँ,
और अपना हाथ उनके द्रोहियों के
विरुद्ध चलाऊँ।
15यहोवा के बैरी तो उस के वश में हो जाते;
और उनका अन्त सदाकाल तक बना
रहता है।
16मैं उनको उत्तम से उत्तम गेहूँ खिलाता,
और मैं चट्टान में के मधु से उनको
तृप्‍त करता।”

वर्तमान में चयनित:

भजन संहिता 81: HINOVBSI

हाइलाइट

शेयर

कॉपी

None

Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in