पृथ्वी पर चार छोटे जन्तु हैं, जो अत्यन्त बुद्धिमान हैं : चींटियाँ निर्बल जाति तो हैं, परन्तु धूपकाल में अपनी भोजनवस्तु बटोरती हैं; बिज्जू बली जाति नहीं, तौभी उनकी मान्दें पहाड़ों पर होती हैं; टिड्डियों के राजा तो नहीं होता, तौभी वे सब की सब दल बाँध बाँधकर चलती हैं; और छिपकली हाथ से पकड़ी तो जाती है, तौभी राजभवनों में रहती है। तीन सुन्दर चालवाले प्राणी हैं; वरन् चार हैं, जिन की चाल सुन्दर है : सिंह जो सब पशुओं में पराक्रमी है, और किसी के डर से नहीं हटता; शिकारी कुत्ता और बकरा, और अपनी सेना समेत राजा। यदि तू ने अपनी बड़ाई करने की मूढ़ता की, या कोई बुरी युक्ति बाँधी हो, तो अपने मुँह पर हाथ रख। क्योंकि जैसे दूध के मथने से मक्खन, और नाक के मरोड़ने से लहू निकलता है, वैसे ही क्रोध के भड़काने से झगड़ा उत्पन्न होता है।
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