“तुम सुन चुके हो, कि पूर्वकाल के लोगों से कहा गया था कि ‘हत्या न करना’, और ‘जो कोई हत्या करेगा वह कचहरी में दण्ड के योग्य होगा।’ परन्तु मैं तुम से यह कहता हूँ, कि जो कोई अपने भाई पर क्रोध करेगा, वह कचहरी में दण्ड के योग्य होगा, और जो कोई अपने भाई को निकम्मा कहेगा वह महासभा में दण्ड के योग्य होगा; और जो कोई कहे ‘अरे मूर्ख’ वह नरक की आग के दण्ड के योग्य होगा। इसलिये यदि तू अपनी भेंट वेदी पर लाए, और वहाँ तू स्मरण करे, कि तेरे भाई के मन में तेरे लिये कुछ विरोध है, तो अपनी भेंट वहीं वेदी के सामने छोड़ दे, और जाकर पहले अपने भाई से मेल मिलाप कर और तब आकर अपनी भेंट चढ़ा। जब तक तू अपने मुद्दई के साथ मार्ग ही में है, उस से झटपट मेल मिलाप कर ले कहीं ऐसा न हो कि मुद्दई तुझे हाकिम को सौंपे, और हाकिम तुझे सिपाही को सौंप दे, और तू बन्दीगृह में डाल दिया जाए। मैं तुझ से सच कहता हूँ कि जब तक तू कौड़ी–कौड़ी भर न दे तब तक वहाँ से छूटने न पाएगा।
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