“फिर यदि तेरा कोई भाईबन्धु कंगाल हो जाए, और उसकी दशा तेरे सामने तरस योग्य हो जाए, तो तू उसको सम्भालना; वह परदेशी या यात्री के समान तेरे संग रहे। उससे ब्याज या बढ़ती न लेना; परमेश्वर का भय मानना; जिससे तेरा भाईबन्धु तेरे संग जीवन निर्वाह कर सके। उसको ब्याज पर रुपया न देना, और न उसको भोजनवस्तु लाभ के लालच से देना।
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