अय्यूब ने फिर अपनी गूढ़ बात उठाई और कहा, “भला होता कि मेरी दशा बीते हुए महीनों की सी होती, जिन दिनों में परमेश्वर मेरी रक्षा करता था, जब उसके दीपक का प्रकाश मेरे सिर पर रहता था, और उस से उजियाला पाकर मैं अन्धेरे में चलता था। वे तो मेरी जवानी के दिन थे, जब परमेश्वर की मित्रता मेरे डेरे पर बनी रहती थी। उस समय तक तो सर्वशक्तिमान मेरे संग रहता था, और मेरे बाल–बच्चे मेरे चारों ओर रहते थे। तब मैं अपने पगों को मलाई से धोता था और मेरे पास की चट्टानों से तेल की धाराएँ बहा करती थीं।
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