उत्पत्ति 30:1-24

उत्पत्ति 30:1-24 HINOVBSI

जब राहेल ने देखा कि याक़ूब के लिये मुझ से कोई सन्तान नहीं होती, तब वह अपनी बहिन से डाह करने लगी और याक़ूब से कहा, “मुझे भी सन्तान दे, नहीं तो मर जाऊँगी।” तब याक़ूब ने राहेल से क्रोधित होकर कहा, “क्या मैं परमेश्‍वर हूँ? तेरी कोख तो उसी ने बन्द कर रखी है।” राहेल ने कहा, “अच्छा, मेरी दासी बिल्हा हाजिर है; उसी के पास जा, वह मेरे घुटनों पर जनेगी, और उसके द्वारा मेरा भी घर बसेगा।” तब उसने उसे अपनी दासी बिल्हा को दिया कि वह उसकी पत्नी हो; और याक़ूब उसके पास गया। और बिल्हा गर्भवती हुई और याक़ूब से उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ। तब राहेल ने कहा, “परमेश्‍वर ने मेरा न्याय चुकाया और मेरी सुनकर मुझे एक पुत्र दिया।” इसलिये उसने उसका नाम दान रखा। राहेल की दासी बिल्हा फिर गर्भवती हुई और याक़ूब से एक पुत्र और उत्पन्न हुआ। तब राहेल ने कहा, “मैं ने अपनी बहिन के साथ बड़े बल से लिपटकर मल्‍लयुद्ध किया और अब जीत गई।” अत: उसने उसका नाम नप्‍ताली रखा। जब लिआ: ने देखा कि मैं जनने से रहित हो गई हूँ, तब उसने अपनी दासी जिल्पा को लेकर याक़ूब की पत्नी होने के लिये दे दिया। और लिआ: की दासी जिल्पा के भी याक़ूब से एक पुत्र उत्पन्न हुआ। तब लिआ: ने कहा, “अहो भाग्य!” इसलिये उसने उसका नाम गाद रखा। फिर लिआ: की दासी जिल्पा के याक़ूब से एक और पुत्र उत्पन्न हुआ। तब लिआ: ने कहा, “मैं धन्य हूँ; निश्‍चय स्त्रियाँ मुझे धन्य कहेंगी।” इसलिये उसने उसका नाम आशेर रखा। गेहूँ की कटनी के दिनों में रूबेन को मैदान में दूदाफल मिले, और वह उनको अपनी माता लिआ: के पास ले गया। तब राहेल ने लिआ: से कहा, “अपने पुत्र के दूदाफलों में से कुछ मुझे दे।” उसने उससे कहा, “तू ने जो मेरे पति को ले लिया है क्या यह छोटी बात है? अब क्या तू मेरे पुत्र के दूदाफल भी लेना चाहती है?” राहेल ने कहा, “अच्छा, तेरे पुत्र के दूदाफलों के बदले वह आज रात को तेरे संग सोएगा।” साँझ को जब याक़ूब मैदान से आ रहा था, तब लिआ: उससे भेंट करने को निकली, और कहा, “तुझे मेरे ही पास आना होगा, क्योंकि मैं ने अपने पुत्र के दूदाफल देकर तुझे सचमुच मोल लिया।” तब वह उस रात को उसी के संग सोया। तब परमेश्‍वर ने लिआ: की सुनी, और वह गर्भवती हुई और याक़ूब से उसके पाँचवाँ पुत्र उत्पन्न हुआ। तब लिआ: ने कहा, “मैं ने जो अपने पति को अपनी दासी दी, इसलिये परमेश्‍वर ने मुझे मेरी मजदूरी दी है।” इसलिये उसने उसका नाम इस्साकार रखा। लिआ: फिर गर्भवती हुई और याक़ूब से उसके छठवाँ पुत्र उत्पन्न हुआ। तब लिआ: ने कहा, “परमेश्‍वर ने मुझे अच्छा दान दिया है; अब की बार मेरा पति मेरे संग बना रहेगा, क्योंकि मेरे उससे छ: पुत्र उत्पन्न हो चुके हैं।” इसलिये उसने उसका नाम जबूलून् रखा। तत्पश्‍चात् उसके एक बेटी भी हुई, और उसने उसका नाम दीना रखा। परमेश्‍वर ने राहेल की भी सुधि ली, और उसकी सुनकर उसकी कोख खोली। इसलिये वह गर्भवती हुई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया, तब उसने कहा, “परमेश्‍वर ने मेरी नामधराई को दूर कर दिया है।” इसलिए उसने यह कहकर उसका नाम यूसुफ रखा, “परमेश्‍वर मुझे एक पुत्र और भी देगा।”

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