उत्‍पत्ति 30:1-24

उत्‍पत्ति 30:1-24 पवित्र बाइबल (HERV)

राहेल ने देखा कि वह याकूब के लिए किसी बच्चे को जन्म नहीं दे रही है। राहेल अपनी बहन लिआ से ईर्ष्या करने लगी। इसलिए राहेल ने याकूब से कहा, “मुझे बच्चा दो, वरना मैं मर जाऊँगी।” याकूब राहेल पर क्रोधित हुआ। उसने कहा, “मैं परमेश्वर नहीं हूँ। वह परमेश्वर ही है जिसने तुम्हें बच्चों को जन्म देने से रोका है।” तब राहेल ने कहा, “तुम मेरी दासी बिल्हा को ले सकते हो। उसके साथ सोओ और वह मेरे लिए बच्चे को जन्म देगी। तब मैं उसके द्वारा माँ बनूँगी।” इस प्रकार राहेल ने अपने पति याकूब के लिए बिल्हा को दिया। याकूब ने बिल्हा के साथ शारीरिक सम्बन्ध किया। बिल्हा गर्भवती हुई और याकूब के लिए एक पुत्र को जन्म दिया। राहेल ने कहा, “परमेश्वर ने मेरी प्रार्थना सुन ली है। उसने मुझे एक पुत्र देने का निश्चय किया।” इसलिए राहेल ने इस पुत्र का नाम दान रखा। बिल्हा दूसरी बार गर्भवती हुई और उसने याकूब को दूसरा पुत्र दिया। राहेल ने कहा, “अपनी बहन से मुकाबले के लिए मैंने कठिन लड़ाई लड़ी है और मैंने विजय पा ली है।” इसलिए उसने इस पुत्र क नाम नप्ताली रखा। लिआ ने सोचा कि वह और अधिक बच्चों को जन्म नहीं दे सकती। इसलिए उसने अपनी दासी जिल्पा को याकूब के लिए दिया। तब जिल्पा ने एक पुत्र को जन्म दिया। लिआ ने कहा, “मैं भाग्यवती हूँ। अब स्त्रियाँ मुझे भाग्यवती कहेंगी।” इसलिए उसने पुत्र का नाम गाद रखा। जिल्पा ने दूसरे पुत्र को जन्म दिया। लिआ ने कहा, “मैं बहुत प्रसन्न हूँ।” इसलिए उसने लड़के का नाम आशेर रखा। गेहूँ कटने के समय रूबेन खेतों में गया और कुछ विशेष फूलों को देखा। रूबेन इन फूलों को अपनी माँ लिआ के पास लाया। लेकिन राहेल ने लिआ से कहा, “कृपा कर अपने पुत्र के फूलों में से कुछ मुझे दे दो।” लिआ ने उत्तर दिया, “तुमने तो मेरे पति को पहले ही ले लिया है। अब तुम मेरे पुत्र के फूलों को भी ले लेना चाहती हो।” लेकिन राहेल ने उत्तर दिया, “यदि तुम अपने पुत्र के फूल मुझे दोगी तो तुम आज रात याकूब के साथ सो सकती हो।” उस रात याकूब खेतों से लौटा। लिआ ने उसे देखा और उससे मिलने गई। उसने कहा, “आज रात तुम मेरे साथ सोओगे। मैंने अपने पुत्र के फूलों को तुम्हारी कीमत के रूप में दिया है।” इसलिए याकूब उस रात लिआ के साथ सोया। तब परमेश्वर ने लिआ को फिर गर्भवती होने दिया। उसने पाँचवें पुत्र को जन्म दिया। लिआ ने कहा, “परमेश्वर ने मुझे इस बात का पुरस्कार दिया है कि मैंने अपनी दासी को अपने पति को दिया।” इसलिए लिआ ने अपने पुत्र का नाम इस्साकर रखा। लिआ फिर गर्भवती हुई और उसने छठे पुत्र को जन्म दिया। लिआ ने कहा, “परमेश्वर ने मुझे एक सुन्दर भेंट दी है। अब निश्चय ही याकूब मुझे अपनाएगा, क्योंकि मैंने उसे छः बच्चे दिए हैं।” इसलिए लिआ ने पुत्र का नाम जबूलून रखा। इसके बाद लिआ ने एक पुत्री को जन्म दिया। उसने पुत्री का नाम दीना रखा। तब परमेश्वर ने राहेल की प्रार्थना सुनी। परमेश्वर ने राहेल के लिए बच्चे उत्पन्न करना सभंव बनाया। राहेल गर्भवती हुई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया। राहेल ने कहा, “परमेश्वर ने मेरी लज्जा समाप्त कर दी है और मुझे एक पुत्र दिया है।” इसलिए राहेल ने अपने पुत्र का नाम यूसुफ रखा।

उत्‍पत्ति 30:1-24 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)

जब राहेल ने देखा कि उससे याकूब के लिए सन्‍तान उत्‍पन्न नहीं हुई, तब वह अपनी बहिन से ईष्‍र्या करने लगी। उसने याकूब से कहा, ‘मुझे सन्‍तान दो, अन्‍यथा मैं मर जाऊंगी।’ राहेल के प्रति याकूब का क्रोध भड़क उठा। वह बोला, ‘क्‍या मैं परमेश्‍वर के स्‍थान पर हूँ, जिसने तुझे गर्भवती होने से वंचित किया है?’ राहेल ने कहा, ‘देखो, मेरी सेविका बिल्‍हा है। तुम उससे सहवास करो, जिससे वह मेरे घुटनों पर सन्‍तान को जन्‍म दे। शायद उसके माध्‍यम से मुझे सन्‍तान प्राप्‍त हो।’ अत: उसने अपनी सेविका याकूब को दी कि वह उसकी स्‍त्री बने। याकूब ने उसके साथ सहवास किया। बिल्‍हा गर्भवती हुई, और उसने याकूब से एक पुत्र को जन्‍म दिया। राहेल बोली, ‘परमेश्‍वर ने मेरे पक्ष में न्‍याय किया। उसने मेरी पुकार सुनी और मुझे एक पुत्र प्रदान किया।’ इसलिए उसने उसका नाम ‘दान’ रखा। राहेल की सेविका बिल्‍हा पुन: गर्भवती हुई। उसने याकूब से दूसरे पुत्र को जन्‍म दिया। राहेल ने कहा, ‘मैंने अपनी बहिन के साथ कड़ा संघर्ष कर द्वन्‍द्वयुद्ध में विजय प्राप्‍त की है।’ अत: उसका नाम ‘नफ्‍ताली’ रखा। जब लिआ ने देखा कि उसके सन्‍तान होना बन्‍द हो गया है, तब उसने अपनी सेविका जिल्‍पा याकूब को दी कि वह उसकी स्‍त्री बने। लिआ की सेविका जिल्‍पा ने याकूब से एक पुत्र को जन्‍म दिया। लिआ बोली, ‘अहो भाग्‍य!’ अतएव उसने उसका नाम ‘गाद’ रखा। लिआ की सेविका जिल्‍पा ने याकूब से दूसरे पुत्र को जन्‍म दिया। लिआ ने कहा, ‘मैं कितनी धन्‍य हूँ! स्‍त्रियाँ मुझे धन्‍य-धन्‍य कहेंगी।’ इसलिए उसने उसका नाम ‘आशेर’ रखा। गेहूँ की कटाई के दिनों में रूबेन बाहर गया। उसे मैदान में दूदा फल मिले। वह उनको अपनी माँ लिआ के पास लाया। राहेल ने लिआ से कहा, ‘कृपया मुझे अपने पुत्र के दूदाफलों में से कुछ फल दो।’ लिआ ने उससे कहा, ‘क्‍या यह कोई साधारण बात है कि तूने मेरे पति को मुझसे छीन लिया? अब क्‍या तू मेरे पुत्र के दूदाफल भी छीन लेगी?’ राहेल बोली, ‘तुम्‍हारे पुत्र के दूदाफलों के बदले में याकूब आज रात तुम्‍हारे साथ सो सकते हैं।’ जब सन्‍ध्‍या समय याकूब खेत से आया तब लिआ उससे भेंट करने को बाहर निकली। लिआ ने कहा, ‘तुम्‍हें मेरे पास आज रात आना ही होगा; क्‍योंकि मैंने तुम्‍हें अपने पुत्र के दूदाफलों के बदले में किराए पर लिया है।’ याकूब उस रात लिआ के साथ सोया। तब परमेश्‍वर ने लिआ की प्रार्थना सुनी। वह गर्भवती हुई और उसने याकूब से पांचवें पुत्र को जन्‍म दिया। लिआ ने कहा, ‘परमेश्‍वर ने मुझे मेरी मजदूरी दी है; क्‍योंकि मैंने अपनी सेविका अपने पति को दी थी।’ अतएव उसने उसका नाम ‘इस्‍साकार’ रखा। लिआ पुन: गर्भवती हुई। उसने याकूब से छठे पुत्र को जन्‍म दिया। लिआ बोली, ‘परमेश्‍वर ने मुझे एक उत्तम वरदान से सम्‍पन्न किया है। अब मेरा पति मेरे साथ रहेगा; क्‍योंकि मैंने उसके लिए छ: पुत्रों को जन्‍म दिया है।’ अत: लिआ ने उसका नाम ‘जबूलून’ रखा। इसके पश्‍चात् उसने एक पुत्री को जन्‍म दिया, और उसका नाम दीना रखा। परमेश्‍वर ने राहेल को स्‍मरण किया। उसने उसकी प्रार्थना सुनी, और उसके गर्भाशय को खोला। वह गर्भवती हुई और उसने एक पुत्र को जन्‍म दिया। वह बोली, ‘परमेश्‍वर ने मेरी निन्‍दा दूर कर दी।’ उसने यह कहते हुए उसका नाम ‘यूसुफ’ रखा कि प्रभु उसे एक और पुत्र प्रदान करे।

उत्‍पत्ति 30:1-24 Hindi Holy Bible (HHBD)

जब राहेल ने देखा, कि याकूब के लिये मुझ से कोई सन्तान नहीं होता, तब वह अपनी बहिन से डाह करने लगी: और याकूब से कहा, मुझे भी सन्तान दे, नहीं तो मर जाऊंगी। तब याकूब ने राहेल से क्रोधित हो कर कहा, क्या मैं परमेश्वर हूं? तेरी कोख तो उसी ने बन्द कर रखी है। राहेल ने कहा, अच्छा, मेरी लौंडी बिल्हा हाजिर है: उसी के पास जा, वह मेरे घुटनों पर जनेगी, और उसके द्वारा मेरा भी घर बसेगा। तो उसने उसे अपनी लौंडी बिल्हा को दिया, कि वह उसकी पत्नी हो; और याकूब उसके पास गया। और बिल्हा गर्भवती हुई और याकूब से उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ। और राहेल ने कहा, परमेश्वर ने मेरा न्याय चुकाया और मेरी सुन कर मुझे एक पुत्र दिया: इसलिये उसने उसका नाम दान रखा। और राहेल की लौंडी बिल्हा फिर गर्भवती हुई और याकूब से एक पुत्र और उत्पन्न हुआ। तब राहेल ने कहा, मैं ने अपनी बहिन के साथ बड़े बल से लिपट कर मल्लयुद्ध किया और अब जीत गई: सो उसने उसका नाम नप्ताली रखा। जब लिआ: ने देखा कि मैं जनने से रहित हो गई हूं, तब उसने अपनी लौंडी जिल्पा को ले कर याकूब की पत्नी होने के लिये दे दिया। और लिआ: की लौंडी जिल्पा के भी याकूब से एक पुत्र उत्पन्न हुआ। तब लिआ: ने कहा, अहो भाग्य! सो उसने उसका नाम गाद रखा। फिर लिआ: की लौंडी जिल्पा के याकूब से एक और पुत्र उत्पन्न हुआ। तब लिआ: ने कहा, मैं धन्य हूं; निश्चय स्त्रियां मुझे धन्य कहेंगी: सो उसने उसका नाम आशेर रखा। गेहूं की कटनी के दिनों में रूबेन को मैदान में दूदाफल मिले, और वह उन को अपनी माता लिआ: के पास ले गया, तब राहेल ने लिआ: से कहा, अपने पुत्र के दूदाफलों में से कुछ मुझे दे। उसने उससे कहा, तू ने जो मेरे पति को ले लिया है सो क्या छोटी बात है? अब क्या तू मेरे पुत्र के दूदाफल भी लेने चाहती है? राहेल ने कहा, अच्छा, तेरे पुत्र के दूदाफलों के बदले वह आज रात को तेरे संग सोएगा। सो सांझ को जब याकूब मैदान से आ रहा था, तब लिआ: उससे भेंट करने को निकली, और कहा, तुझे मेरे ही पास आना होगा, क्योंकि मैं ने अपने पुत्र के दूदाफल देकर तुझे सचमुच मोल लिया। तब वह उस रात को उसी के संग सोया। तब परमेश्वर ने लिआ: की सुनी, सो वह गर्भवती हुई और याकूब से उसके पांचवां पुत्र उत्पन्न हुआ। तब लिआ: ने कहा, में ने जो अपने पति को अपनी लौंडी दी, इसलिये परमेश्वर ने मुझे मेरी मजूरी दी है: सो उसने उसका नाम इस्साकार रखा। और लिआ: फिर गर्भवती हुई और याकूब से उसके छठवां पुत्र उत्पन्न हुआ। तब लिआ: ने कहा, परमेश्वर ने मुझे अच्छा दान दिया है; अब की बार मेरा पति मेरे संग बना रहेगा, क्योंकि मेरे उससे छ: पुत्र उत्पन्न चुके हैं: से उसने उसका नाम जबूलून रखा। तत्पश्चात् उसके एक बेटी भी हुई, और उसने उसका नाम दीना रखा। और परमेश्वर ने राहेल की भी सुधि ली, और उसकी सुनकर उसकी कोख खोली। सो वह गर्भवती हुई और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ; सो उसने कहा, परमेश्वर ने मेरी नामधराई को दूर कर दिया है। सो उसने यह कह कर उसका नाम यूसुफ रखा, कि परमेश्वर मुझे एक पुत्र और भी देगा।

उत्‍पत्ति 30:1-24 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)

जब राहेल ने देखा कि याक़ूब के लिये मुझ से कोई सन्तान नहीं होती, तब वह अपनी बहिन से डाह करने लगी और याक़ूब से कहा, “मुझे भी सन्तान दे, नहीं तो मर जाऊँगी।” तब याक़ूब ने राहेल से क्रोधित होकर कहा, “क्या मैं परमेश्‍वर हूँ? तेरी कोख तो उसी ने बन्द कर रखी है।” राहेल ने कहा, “अच्छा, मेरी दासी बिल्हा हाजिर है; उसी के पास जा, वह मेरे घुटनों पर जनेगी, और उसके द्वारा मेरा भी घर बसेगा।” तब उसने उसे अपनी दासी बिल्हा को दिया कि वह उसकी पत्नी हो; और याक़ूब उसके पास गया। और बिल्हा गर्भवती हुई और याक़ूब से उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ। तब राहेल ने कहा, “परमेश्‍वर ने मेरा न्याय चुकाया और मेरी सुनकर मुझे एक पुत्र दिया।” इसलिये उसने उसका नाम दान रखा। राहेल की दासी बिल्हा फिर गर्भवती हुई और याक़ूब से एक पुत्र और उत्पन्न हुआ। तब राहेल ने कहा, “मैं ने अपनी बहिन के साथ बड़े बल से लिपटकर मल्‍लयुद्ध किया और अब जीत गई।” अत: उसने उसका नाम नप्‍ताली रखा। जब लिआ: ने देखा कि मैं जनने से रहित हो गई हूँ, तब उसने अपनी दासी जिल्पा को लेकर याक़ूब की पत्नी होने के लिये दे दिया। और लिआ: की दासी जिल्पा के भी याक़ूब से एक पुत्र उत्पन्न हुआ। तब लिआ: ने कहा, “अहो भाग्य!” इसलिये उसने उसका नाम गाद रखा। फिर लिआ: की दासी जिल्पा के याक़ूब से एक और पुत्र उत्पन्न हुआ। तब लिआ: ने कहा, “मैं धन्य हूँ; निश्‍चय स्त्रियाँ मुझे धन्य कहेंगी।” इसलिये उसने उसका नाम आशेर रखा। गेहूँ की कटनी के दिनों में रूबेन को मैदान में दूदाफल मिले, और वह उनको अपनी माता लिआ: के पास ले गया। तब राहेल ने लिआ: से कहा, “अपने पुत्र के दूदाफलों में से कुछ मुझे दे।” उसने उससे कहा, “तू ने जो मेरे पति को ले लिया है क्या यह छोटी बात है? अब क्या तू मेरे पुत्र के दूदाफल भी लेना चाहती है?” राहेल ने कहा, “अच्छा, तेरे पुत्र के दूदाफलों के बदले वह आज रात को तेरे संग सोएगा।” साँझ को जब याक़ूब मैदान से आ रहा था, तब लिआ: उससे भेंट करने को निकली, और कहा, “तुझे मेरे ही पास आना होगा, क्योंकि मैं ने अपने पुत्र के दूदाफल देकर तुझे सचमुच मोल लिया।” तब वह उस रात को उसी के संग सोया। तब परमेश्‍वर ने लिआ: की सुनी, और वह गर्भवती हुई और याक़ूब से उसके पाँचवाँ पुत्र उत्पन्न हुआ। तब लिआ: ने कहा, “मैं ने जो अपने पति को अपनी दासी दी, इसलिये परमेश्‍वर ने मुझे मेरी मजदूरी दी है।” इसलिये उसने उसका नाम इस्साकार रखा। लिआ: फिर गर्भवती हुई और याक़ूब से उसके छठवाँ पुत्र उत्पन्न हुआ। तब लिआ: ने कहा, “परमेश्‍वर ने मुझे अच्छा दान दिया है; अब की बार मेरा पति मेरे संग बना रहेगा, क्योंकि मेरे उससे छ: पुत्र उत्पन्न हो चुके हैं।” इसलिये उसने उसका नाम जबूलून् रखा। तत्पश्‍चात् उसके एक बेटी भी हुई, और उसने उसका नाम दीना रखा। परमेश्‍वर ने राहेल की भी सुधि ली, और उसकी सुनकर उसकी कोख खोली। इसलिये वह गर्भवती हुई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया, तब उसने कहा, “परमेश्‍वर ने मेरी नामधराई को दूर कर दिया है।” इसलिए उसने यह कहकर उसका नाम यूसुफ रखा, “परमेश्‍वर मुझे एक पुत्र और भी देगा।”

उत्‍पत्ति 30:1-24 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)

जब राहेल ने देखा कि याकूब के लिये मुझसे कोई सन्तान नहीं होती, तब वह अपनी बहन से डाह करने लगी और याकूब से कहा, “मुझे भी सन्तान दे, नहीं तो मर जाऊँगी।” तब याकूब ने राहेल से क्रोधित होकर कहा, “क्या मैं परमेश्वर हूँ? तेरी कोख तो उसी ने बन्द कर रखी है।” राहेल ने कहा, “अच्छा, मेरी दासी बिल्हा हाजिर है; उसी के पास जा, वह मेरे घुटनों पर जनेगी, और उसके द्वारा मेरा भी घर बसेगा।” तब उसने उसे अपनी दासी बिल्हा को दिया, कि वह उसकी पत्नी हो; और याकूब उसके पास गया। और बिल्हा गर्भवती हुई और याकूब से उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ। तब राहेल ने कहा, “परमेश्वर ने मेरा न्याय चुकाया और मेरी सुनकर मुझे एक पुत्र दिया।” इसलिए उसने उसका नाम दान रखा। राहेल की दासी बिल्हा फिर गर्भवती हुई और याकूब से एक पुत्र और उत्पन्न हुआ। तब राहेल ने कहा, “मैंने अपनी बहन के साथ बड़े बल से लिपटकर मल्लयुद्ध किया और अब जीत गई।” अतः उसने उसका नाम नप्ताली रखा। जब लिआ ने देखा कि मैं जनने से रहित हो गई हूँ, तब उसने अपनी दासी जिल्पा को लेकर याकूब की पत्नी होने के लिये दे दिया। और लिआ की दासी जिल्पा के भी याकूब से एक पुत्र उत्पन्न हुआ। तब लिआ ने कहा, “अहो भाग्य!” इसलिए उसने उसका नाम गाद रखा। फिर लिआ की दासी जिल्पा के याकूब से एक और पुत्र उत्पन्न हुआ। तब लिआ ने कहा, “मैं धन्य हूँ; निश्चय स्त्रियाँ मुझे धन्य कहेंगी।” इसलिए उसने उसका नाम आशेर रखा। गेहूँ की कटनी के दिनों में रूबेन को मैदान में दूदाफल मिले, और वह उनको अपनी माता लिआ के पास ले गया, तब राहेल ने लिआ से कहा, “अपने पुत्र के दूदाफलों में से कुछ मुझे दे।” उसने उससे कहा, “तूने जो मेरे पति को ले लिया है क्या छोटी बात है? अब क्या तू मेरे पुत्र के दूदाफल भी लेना चाहती है?” राहेल ने कहा, “अच्छा, तेरे पुत्र के दूदाफलों के बदले वह आज रात को तेरे संग सोएगा।” साँझ को जब याकूब मैदान से आ रहा था, तब लिआ उससे भेंट करने को निकली, और कहा, “तुझे मेरे ही पास आना होगा, क्योंकि मैंने अपने पुत्र के दूदाफल देकर तुझे सचमुच मोल लिया।” तब वह उस रात को उसी के संग सोया। तब परमेश्वर ने लिआ की सुनी, और वह गर्भवती हुई और याकूब से उसके पाँचवाँ पुत्र उत्पन्न हुआ। तब लिआ ने कहा, “मैंने जो अपने पति को अपनी दासी दी, इसलिए परमेश्वर ने मुझे मेरी मजदूरी दी है।” इसलिए उसने उसका नाम इस्साकार रखा। लिआ फिर गर्भवती हुई और याकूब से उसके छठवाँ पुत्र उत्पन्न हुआ। तब लिआ ने कहा, “परमेश्वर ने मुझे अच्छा दान दिया है; अब की बार मेरा पति मेरे संग बना रहेगा, क्योंकि मेरे उससे छः पुत्र उत्पन्न हो चुके हैं।” इसलिए उसने उसका नाम जबूलून रखा। तत्पश्चात् उसके एक बेटी भी हुई, और उसने उसका नाम दीना रखा। परमेश्वर ने राहेल की भी सुधि ली, और उसकी सुनकर उसकी कोख खोली। इसलिए वह गर्भवती हुई और उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ; तब उसने कहा, “परमेश्वर ने मेरी नामधराई को दूर कर दिया है।” इसलिए उसने यह कहकर उसका नाम यूसुफ रखा, “परमेश्वर मुझे एक पुत्र और भी देगा।”

उत्‍पत्ति 30:1-24 सरल हिन्दी बाइबल (HSS)

राहेल ने यह देखा कि याकोब के लिए उसके द्वारा कोई संतान नहीं हुई, तो उसे अपनी बहन से नफ़रत हो गई. वह याकोब से झगड़ने लगी, “मुझे संतान दीजिए, नहीं तो मैं मर जाऊंगी!” यह सुन याकोब गुस्से से चिल्लाए और कहा, “क्या मैं परमेश्वर के स्थान में हूं कि तुम्हारी बंद कोख खोलूं?” यह सुन उसने कहा, “तो मेरी दासी बिलहाह के पास जाइए, ताकि उसके द्वारा मैं मां बन सकूं.” इसलिये राहेल ने याकोब को पत्नी स्वरूप में अपनी दासी सौंप दी, और याकोब ने बिलहाह से वैवाहिक संबंध बनाया. बिलहाह गर्भवती हुई और उसका एक बेटा हुआ. तब राहेल ने कहा, “परमेश्वर ने मेरा न्याय किया और मेरी दुहाई सुन ली और मुझे बेटा दिया.” उसने उसका नाम दान रखा. फिर राहेल की दासी बिलहाह से एक और बेटा हुआ. तब राहेल ने कहा, “मैंने अपनी बहन के साथ बड़ा संघर्ष किया है और अब मैं जीत गई हूं.” इसलिये इस बेटे का नाम नफताली रखा गया. जब लियाह ने देखा कि उसके और बच्‍चे होने रुक गये है, तब उसने अपनी दासी ज़िलपाह को याकोब को पत्नी स्वरूप में दे दी. लियाह की दासी ज़िलपाह ने याकोब से एक बेटे को जन्म दिया. लियाह ने सोचा, “कैसी धन्यता है यह!” इसलिये उस बेटे का नाम गाद रखा. लियाह की दासी ज़िलपाह से एक और बेटा हुआ. तब लियाह ने सोचा, “मैं धन्य हूं और स्त्रियां मुझे धन्य कहेंगी.” इसलिये इस पुत्र का नाम आशेर रखा. खेत में गेहूं की कटाई के समय रियूबेन जब खेत में गया उसे दूदाईम नामक कुछ विशेष पौधा मिला, जिन्हें वह अपनी मां लियाह के पास ले आया. राहेल ने लियाह से कहा, “मुझे भी थोड़ा दूदाईम दे दो.” लियाह ने राहेल से कहा, “क्या यह काफ़ी नहीं कि तुमने मुझसे मेरा पति छीन लिया? और अब मेरे पुत्र द्वारा लाए दूदाईम भी लेना चाहती हो?” तब राहेल ने उससे कहा, “यदि तुम मुझे यह पौधा दोगी, तो मैं आज की रात तुम्हें याकोब के साथ व्यतीत करने दूंगी.” जब शाम को याकोब खेत से आये तब लियाह ने याकोब से कहा, “मैंने आपको अपने बेटे द्वारा लाए गये दूदाईम देकर किराये में लिया है.” परमेश्वर ने लियाह की सुन ली. उसने गर्भधारण किया तथा याकोब को पांचवां पुत्र दिया. इस पर लियाह ने कहा, “परमेश्वर ने मुझे मेरी मजदूरी दी है क्योंकि मैंने अपनी दासी मेरे पति को दी.” और इसलिये उसका नाम इस्साखार रखा. फिर लियाह ने छठे पुत्र को जन्म दिया. लियाह ने कहा, “परमेश्वर ने मुझे एक उत्तम भेंट से सम्मानित किया है. अब मेरे पति मेरी कद्र करेंगे, क्योंकि मैंने उनको छः पुत्र दिये हैं.” और इसलिये उस पुत्र का नाम ज़ेबुलून रखा. फिर कुछ समय बाद लिया की एक बेटी हुई, उसका नाम दीनाह रखा. इसके बाद परमेश्वर ने राहेल पर दया की. परमेश्वर ने उसे गर्भधारण करने के लिए सक्षम किया. उसे एक बेटा हुआ, और उसने कहा, “परमेश्वर ने मेरा कलंक मिटा दिया है.” यह कहते हुए उसे योसेफ़ नाम दिया कि याहवेह मुझे एक और पुत्र दें.

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