निर्गमन 39
39
याजकीय वस्त्र तैयार करना
(निर्ग 28:1–14)
1फिर उन्होंने नीले, बैंजनी और लाल रंग के काढ़े हुए कपड़े पवित्रस्थान की सेवा के लिये, और हारून के लिये भी पवित्र वस्त्र बनाए; जिस प्रकार यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
2उसने एपोद को सोने, और नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े का, और सूक्ष्म बटी हुई सनी के कपड़े का बनाया। 3और उन्होंने सोना पीट–पीटकर उसके पत्तर बनाए, फिर पत्तरों को काट–काटकर तार बनाए, और तारों को नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े में, और सूक्ष्म सनी के कपड़े में कढ़ाई की बनावट से मिला दिया। 4एपोद के जोड़ने को उन्होंने उसके कन्धों पर के बन्धन बनाए, वह अपने दोनों सिरों से जोड़ा गया। 5और उसे कसने के लिये जो काढ़ा हुआ पटुका उस पर बना, वह उसके साथ बिना जोड़ का, और उसी की बनावट के अनुसार, अर्थात् सोने और नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े का, और सूक्ष्म बटी हुई सनी के कपड़े का बना; जिस प्रकार यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
6उन्होंने सुलैमानी मणि काटकर उनमें इस्राएल के पुत्रों के नाम, जैसा छापा खोदा जाता है वैसे ही खोदे, और सोने के खानों में जड़ दिए। 7और उसने उनको एपोद के कन्धे के बन्धनों पर लगाया, जिससे इस्राएलियों के लिये स्मरण करानेवाले मणि ठहरें; जिस प्रकार यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
सीनाबन्द या चपरास बनाना
(निर्ग 28:15–30)
8उसने चपरास को एपोद के समान सोने की, और नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े की, और सूक्ष्म बटी हुई सनी के कपड़े में बेल बूटे का काम किया हुआ बनाया। 9चपरास चौकोर बनी; और उन्होंने उसको दोहरा बनाया, और वह दोहरा होकर एक बित्ता लम्बा और एक बित्ता चौड़ा बना। 10और उन्होंने उस में चार पंक्तियों में मणि जड़े। पहली पंक्ति में माणिक्य; पद्मराग, और लालड़ी जड़े गए; 11और दूसरी पंक्ति में मरकत, नीलमणि, और हीरा; 12और तीसरी पंक्ति में लशम, सूर्यकान्त, और नीलम; 13और चौथी पंक्ति में फीरोजा, सुलैमानी मणि, और यशब जड़े; ये सब अलग अलग सीने के खानों में जड़े गए। 14और ये मणि इस्राएल के पुत्रों के नामों की गिनती के अनुसार बारह थे; बारहों गोत्रों में से एक एक का नाम जैसा छापा खोदा जाता है वैसा ही खोदा गया। 15और उन्होंने चपरास पर डोरियों के समान गूँथे हुए चोखे सोने की जंजीर बनाकर लगाई; 16फिर उन्होंने सोने के दो खाने, और सोने की दो कड़ियाँ बनाकर दोनों कड़ियों को चपरास के दोनों सिरों पर लगाया; 17तब उन्हों ने सोने की दोनों गूँथी हुई जंजीरों को चपरास के सिरों पर की दोनों कड़ियों में लगाया। 18और गूँथी हुई दोनों जंजीरों के दोनों बाकी सिरों को उन्होंने दोनों खानों में जड़ के, एपोद के सामने दोनों कन्धों के बन्धनों पर लगाया। 19तब उन्होंने सोने की और दो कड़ियाँ बनाकर चपरास के दोनों सिरों पर उसकी उस कोर पर, जो एपोद के भीतरी भाग में थी, लगाई। 20और उन्होंने सोने की दो और कड़ियाँ भी बनाकर एपोद के दोनों कन्धों के बन्धनों पर नीचे से उसके सामने, और जोड़ के पास एपोद के काढ़े हुए पटुके के ऊपर लगाई। 21तब उन्होंने चपरास को उसकी कड़ियों के द्वारा एपोद की कड़ियों में नीले फीते से ऐसा बाँधा कि वह एपोद के काढ़े हुए पटुके के ऊपर रहे, और चपरास एपोद से अलग न होने पाए; जैसे यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
अन्य याजकीय वस्त्र बनाना
(निर्ग 28:31–43)
22फिर एपोद का बागा सम्पूर्ण नीले रंग का बनाया गया। 23और उसकी बनावट ऐसी हुई कि उसके बीच बख़्तर के छेद के समान एक छेद बना, और छेद के चारों ओर एक कोर बनी कि वह फटने न पाए। 24उन्होंने उसके नीचेवाले घेरे में नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े के अनार बनाए। 25उन्होंने चोखे सोने की घंटियाँ भी बनाकर बागे के नीचेवाले घेरे के चारों ओर अनारों के बीचोंबीच लगाईं; 26अर्थात् बागे के नीचेवाले घेरे के चारों ओर एक सोने की घंटी, और एक अनार, फिर एक सोने की घंटी, और एक अनार लगाया गया कि उन्हें पहिने हुए सेवा टहल करें; जैसे यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
27फिर उन्होंने हारून, और उसके पुत्रों के लिये बुनी हुई सूक्ष्म सनी के कपड़े के अंगरखे, 28और सूक्ष्म सनी के कपड़े की पगड़ी, और सूक्ष्म सनी के कपड़े की सुन्दर टोपियाँ; और सूक्ष्म बटी हुई सनी के कपड़े की जाँघिया, 29और सूक्ष्म बटी हुई सनी के कपड़े की और नीले, बैंजनी और लाल रंग की कढ़ाई का काम की हुई पगड़ी; इन सभों को जिस तरह यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी वैसा ही बनाया।
30फिर उन्होंने पवित्र मुकुट की पटरी चोखे सोने की बनाई; और जैसे छापे में वैसे ही उसमें ये अक्षर खोदे गए, अर्थात् ‘यहोवा के लिये पवित्र’। 31और उन्होंने उसमें नीला फीता लगाया, जिससे वह ऊपर पगड़ी पर रहे, जिस तरह यहोवा ने मूसा को आज्ञा दी थी।
मिलापवाले तम्बू का तैयार होना
(निर्ग 35:10–19)
32इस प्रकार मिलापवाले तम्बू के निवास का सब काम समाप्त हुआ, और जिस जिस काम की आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी थी, इस्राएलियों ने उसी के अनुसार किया।
33तब वे निवास को मूसा के पास ले आए: अर्थात् घुंडियाँ, तख़्ते, बेंड़े, खम्भे, कुर्सियाँ आदि सारे सामान समेत तम्बू; 34और लाल रंग से रंगी हुई मेढ़ों की खालों का ओढ़ना, और सूइसों की खालों का ओढ़ना, और बीच का परदा; 35डण्डों सहित साक्षीपत्र का सन्दूक, और प्रायश्चित्त का ढकना; 36सारे सामान समेत मेज़, और भेंट की रोटी;#निर्ग 25:30; 40:23; लैव्य 24:5–9 37सारे सामान सहित दीवट, और उसकी सजावट के दीपक, और उजियाला देने के लिये तेल; 38सोने की वेदी, और अभिषेक का तेल; और सुगन्धित धूप, और तम्बू के द्वार का परदा; 39पीतल की झंझरी, डण्डों और सारे सामान समेत पीतल की वेदी; और पाए समेत हौदी; 40खम्भों और कुर्सियों समेत आँगन के परदे, और आँगन के द्वार का परदा, और डोरियाँ, और खूँटे, और मिलापवाले तम्बू के निवास की सेवा का सारा सामान; 41पवित्रस्थान में सेवा टहल करने के लिये बेल बूटा काढ़े हुए वस्त्र, और हारून याजक के पवित्र वस्त्र, और उसके पुत्रों के वस्त्र जिन्हें पहिनकर उन्हें याजक का काम करना था। 42अर्थात् जो जो आज्ञा यहोवा ने मूसा को दी थी उन्हीं के अनुसार इस्राएलियों ने सब काम किया। 43तब मूसा ने सारे काम का निरीक्षण करके देखा कि उन्होंने यहोवा की आज्ञा के अनुसार सब कुछ किया है। और मूसा ने उनको आशीर्वाद दिया।
वर्तमान में चयनित:
निर्गमन 39: HINOVBSI
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi OV (Re-edited) Bible - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible
Copyright © 2012 by The Bible Society of India
Used by permission. All rights reserved worldwide.