“फिर निवास–स्थान के लिये दस परदे बनवाना; इनको बटी हुई सनीवाले और नीले, बैंजनी और लाल रंग के कपड़े का कढ़ाई के काम किए हुए करूबों के साथ बनवाना। एक एक परदे की लम्बाई अट्ठाइस हाथ और चौड़ाई चार हाथ की हो : सब परदे एक ही नाप के हों। पाँच परदे एक दूसरे से जुड़े हुए हों; और फिर जो पाँच परदे रहेंगे वे भी एक दूसरे से जुड़े हुए हों। और जहाँ ये दोनों परदे जोड़े जाएँ वहाँ के दोनों छोरों पर नीले नीले फन्दे लगवाना। दोनों छोरों में पचास पचास फन्दे ऐसे लगवाना कि वे आमने–सामने हों। और सोने के पचास अंकड़े बनवाना; और परदों के पंचों को अंकड़ों के द्वारा एक दूसरे से ऐसा जुड़वाना कि निवास–स्थान मिलकर एक हो जाए। “फिर निवास के ऊपर तम्बू का काम देने के लिये बकरी के बाल के ग्यारह परदे बनवाना। एक एक परदे की लम्बाई तीस हाथ और चौड़ाई चार हाथ की हो; ग्यारहों परदे एक ही नाप के हों। और पाँच परदे अलग और फिर छ: परदे अलग जुड़वाना, और छठवें परदे को तम्बू के सामने मोड़ कर दुहरा कर देना। और तू पचास अंकड़े उस परदे के छोर में जो बाहर से मिलाया जाएगा और पचास ही अंकड़े दूसरी ओर के परदे की छोर में जो बाहर से मिलाया जाएगा बनवाना। और पीतल के पचास अंकड़े बनाना, और अंकड़ों को फन्दों में लगाकर तम्बू को ऐसा जुड़वाना कि वह मिलकर एक हो जाए। और तम्बू के परदों का लटका हुआ भाग, अर्थात् जो आधा पट रहेगा, वह निवास की पिछली ओर लटका रहे। और तम्बू के परदों की लम्बाई में से हाथ भर इधर, और हाथ भर उधर निवास के ढाँकने के लिये उसके दोनों ओर लटका हुआ रहे। फिर तम्बू के लिये लाल रंग से रंगी हुई मेढ़ों की खालों का एक ओढ़ना और उसके ऊपर सूइसों की खालों का भी एक ओढ़ना बनवाना।
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