निर्गमन 25
25
पवित्रस्थान के लिए भेंट
(निर्ग 35:4–9)
1यहोवा ने मूसा से कहा, 2“इस्राएलियों से यह कहना कि मेरे लिये भेंट लाएँ; जितने अपनी इच्छा से देना चाहें उन्हीं सभों से मेरी भेंट लेना। 3और जिन वस्तुओं की भेंट उनसे लेनी है वे ये हैं; अर्थात् सोना, चाँदी, पीतल, 4नीले, बैंजनी और लाल रंग का कपड़ा, सूक्ष्म सनी का कपड़ा, बकरी का बाल, 5लाल रंग से रंगी हुई मेढ़ों की खालें, सुइसों की खालें, बबूल की लकड़ी, 6उजियाले के लिये तेल, अभिषेक के तेल के लिये और सुगन्धित धूप के लिये सुगन्ध द्रव्य, 7एपोद और चपरास के लिये सुलैमानी पत्थर, और जड़ने के लिये मणि। 8और वे मेरे लिये एक पवित्रस्थान बनाएँ कि मैं उनके बीच निवास करूँ। 9जो कुछ मैं तुझे दिखाता हूँ, अर्थात् निवास–स्थान और उसके सब सामान का नमूना, उसी के अनुसार तुम लोग उसे बनाना।
वाचा का सन्दूक
(निर्ग 37:1–9)
10“बबूल की लकड़ी का एक सन्दूक बनाया जाए; उसकी लम्बाई ढाई हाथ, और चौड़ाई और ऊँचाई डेढ़ डेढ़ हाथ की हों। 11और उसको चोखे सोने से भीतर और बाहर मढ़वाना, और सन्दूक के ऊपर चारों ओर सोने की बाड़ बनवाना। 12और सोने के चार कड़े ढलवाकर उसके चारों पायों पर, एक ओर दो कड़े और दूसरी ओर भी दो कड़े लगवाना। 13फिर बबूल की लकड़ी के डण्डे बनवाना, और उन्हें भी सोने से मढ़वाना। 14और डण्डों को सन्दूक के दोनों ओर के कड़ों में डालना, जिससे उनके बल सन्दूक उठाया जाए। 15वे डण्डे सन्दूक के कड़ों में लगे रहें; और उससे अलग न किए जाएँ। 16और जो साक्षीपत्र मैं तुझे दूँगा उसे उसी सन्दूक में रखना।
17“फिर चोखे सोने का एक प्रायश्चित्त का ढकना बनवाना; उसकी लम्बाई ढाई हाथ, और चौड़ाई डेढ़ हाथ की हो।#इब्रा 9:5 18और सोना ढालकर दो करूब बनवाकर प्रायश्चित्त के ढकने के दोनों सिरों पर लगवाना। 19एक करूब एक सिरे पर और दूसरा करूब दूसरे सिरे पर लगवाना; और करूबों को और प्रायश्चित्त के ढकने को एक ही टुकड़े से बनाकर उसके दोनों सिरों पर लगवाना। 20उन करूबों के पंख ऊपर से ऐसे फैले हुए बनें कि प्रायश्चित्त का ढकना उनसे ढँपा रहे, और उनके मुख आमने–सामने और प्रायश्चित्त के ढकने की ओर रहें। 21और प्रायश्चित्त के ढकने को सन्दूक के ऊपर लगवाना; और जो साक्षीपत्र मैं तुझे दूँगा उसे सन्दूक के भीतर रखना। 22मैं उसके ऊपर रहकर#25:22 मूल में, मैं वहाँ तुझ से मिला करूँगा; और इस्राएलियों के लिये जितनी आज्ञाएँ मुझ को तुझे देनी होंगी, उन सभों के विषय मैं प्रायश्चित्त के ढकने के ऊपर से और उन करूबों के बीच में से, जो साक्षीपत्र के सन्दूक पर होंगे, तुझ से वार्तालाप किया करूँगा।
पवित्र मेज
(निर्ग 37:10–16)
23“फिर बबूल की लकड़ी की एक मेज बनवाना; उसकी लम्बाई दो हाथ, चौड़ाई एक हाथ, और ऊँचाई डेढ़ हाथ की हो। 24उसे चोखे सोने से मढ़वाना, और उसके चारों ओर सोने की एक बाड़ बनवाना। 25और उसके चारों ओर चार अंगुल चौड़ी एक पटरी बनवाना, और इस पटरी के चारों ओर सोने की एक बाड़ बनवाना। 26और सोने के चार कड़े बनवाकर मेज के उन चारों कोनों में लगवाना जो उसके चारों पायों में होंगे। 27वे कड़े पटरी के पास ही हों, और डण्डों के घरों का काम दें कि मेज़ उन्हीं के बल उठाई जाए। 28डण्डों को बबूल की लकड़ी के बनवाकर सोने से मढ़वाना, और मेज उन्हीं से उठाई जाए। 29और उसके परात और धूपदान, और चमचे और उंडेलने के कटोरे, सब चोखे सोने के बनवाना। 30और मेज़ पर मेरे आगे भेंट की रोटियाँ नित्य रखा करना।#लैव्य 24:5–8
सोने की दीवट
(निर्ग 37:17–24)
31“फिर चोखे सोने की एक दीवट बनवाना। सोना ढलवाकर वह दीवट पाये और डण्डी सहित बनाया जाए; उसके पुष्पकोष, गाँठ और फूल, सब एक ही टुकड़े के बनें; 32और उसके किनारों से छ: डालियाँ निकलें, तीन डालियाँ तो दीवट के एक ओर से और तीन डालियाँ उसके दूसरी ओर से निकली हुई हों; 33एक एक डाली में बादाम के फूल के समान तीन तीन पुष्पकोष, एक एक गाँठ, और एक एक फूल हों; दीवट से निकली हुई छहों डालियों का यही आकार या रूप हो; 34और दीवट की डण्डी में बादाम के फूल के समान चार पुष्पकोष अपनी अपनी गाँठ और फूल समेत हों; 35और दीवट से निकली हुई छहों डालियों में से दो दो डालियों के नीचे एक एक गाँठ हो, वे दीवट समेत एक ही टुकड़े के बने हुए हों। 36उनकी गाँठें और डालियाँ, सब दीवट समेत एक ही टुकड़े की हों, चोखा सोना ढलवाकर पूरा दीवट एक ही टुकड़े का बनवाना। 37और सात दीपक बनवाना; और दीपक जलाए जाएँ कि वे दीवट के सामने प्रकाश दें। 38उसके गुलतराश और गुलदान सब चोखे सोने के हों। 39वह सब इन समस्त सामान समेत किक्कार#25:39 लगभग 34 किलोग्राम भर चोखे सोने का बने। 40और सावधान रहकर इन सब वस्तुओं को उस नमूने के समान बनवाना, जो तुझे इस पर्वत पर दिखाया गया है।#प्रेरि 7:44; इब्रा 8:5
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Hindi OV (Re-edited) Bible - पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible
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