यरूशलेम के राजा, दाऊद के पुत्र और उपदेशक के वचन। उपदेशक का यह वचन है, “व्यर्थ ही व्यर्थ, व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है।” उस सब परिश्रम से जिसे मनुष्य धरती पर करता है, उसको क्या लाभ प्राप्त होता है? एक पीढ़ी जाती है, और दूसरी पीढ़ी आती है, परन्तु पृथ्वी सर्वदा बनी रहती है।
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एक्लेसिएस्टेस सुलैमान के जीवन की एक नाटकीय आत्मकथा है जब वह ईश्वर के बिना खुश रहने की कोशिश कर रहा था। एक्लेसिएस्टेस के माध्यम से दैनिक यात्रा पर आप ऑडियो अध्ययन सुनते हैं और भगवान के वचन से चुनिंदा छंद पढ़ते हैं।
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