सभा-उपदेशक 1:1-4
सभा-उपदेशक 1:1-4 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
यरूशलेम के राजा, दाऊद के पुत्र और उपदेशक के वचन। उपदेशक का यह वचन है, “व्यर्थ ही व्यर्थ, व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है।” उस सब परिश्रम से जिसे मनुष्य धरती पर करता है, उसको क्या लाभ प्राप्त होता है? एक पीढ़ी जाती है, और दूसरी पीढ़ी आती है, परन्तु पृथ्वी सर्वदा बनी रहती है।
सभा-उपदेशक 1:1-4 पवित्र बाइबल (HERV)
ये उपदेशक के शब्द हैं। उपदेशक दाऊद का पुत्र था और यरूशलेम का राजा था। उपदेशक का कहना है कि हर वस्तु अर्थहीन है और अकारथ है! मतलब यह कि हर बात व्यर्थ है! इस जीवन में लोग जो कड़ी मेहनत करते हैं, उससे उन्हें सचमुच क्या कोई लाभ होता है? नहीं! एक पीढ़ी आती है और दूसरी चली जाती है किन्तु संसार सदा यूँ ही बना रहता है।
सभा-उपदेशक 1:1-4 पवित्र बाइबिल CL Bible (BSI) (HINCLBSI)
यरूशलेम के राजा, दाऊद के पुत्र सभा- उपदेशक के प्रवचन। सभा-उपदेशक यह कहता है: सब व्यर्थ है, सब निस्सार है। निस्सन्देह सब व्यर्थ है, सब निस्सार है; सब कुछ व्यर्थ है! जो मेहनत मनुष्य इस धरती पर करता है, उसे उससे क्या प्राप्त होता है? एक पीढ़ी गुजरती है, और दूसरी पीढ़ी आती है, पर पृथ्वी ज्यों की त्यों सदा बनी रहती है।
सभा-उपदेशक 1:1-4 Hindi Holy Bible (HHBD)
यरूशलेम के राजा, दाऊद के पुत्र और उपदेशक के वचन। उपदेशक का यह वचन है, कि व्यर्थ ही व्यर्थ, व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है। उस सब परिश्रम से जिसे मनुष्य धरती पर करता है, उसको क्या लाभ प्राप्त होता है? एक पीढ़ी जाती है, और दूसरी पीढ़ी आती है, परन्तु पृथ्वी सर्वदा बनी रहती है।
सभा-उपदेशक 1:1-4 पवित्र बाइबिल OV (Re-edited) Bible (BSI) (HINOVBSI)
यरूशलेम के राजा, दाऊद के पुत्र और उपदेशक के वचन। उपदेशक का यह वचन है, “व्यर्थ ही व्यर्थ, व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है।” उस सब परिश्रम से जिसे मनुष्य धरती पर करता है, उसको क्या लाभ प्राप्त होता है? एक पीढ़ी जाती है, और दूसरी पीढ़ी आती है, परन्तु पृथ्वी सर्वदा बनी रहती है।
सभा-उपदेशक 1:1-4 इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) हिंदी - 2019 (IRVHIN)
यरूशलेम के राजा, दाऊद के पुत्र और उपदेशक के वचन। उपदेशक का यह वचन है, “व्यर्थ ही व्यर्थ, व्यर्थ ही व्यर्थ! सब कुछ व्यर्थ है।” उस सब परिश्रम से जिसे मनुष्य सूर्य के नीचे करता है, उसको क्या लाभ प्राप्त होता है? एक पीढ़ी जाती है, और दूसरी पीढ़ी आती है, परन्तु पृथ्वी सर्वदा बनी रहती है।