इसलिये त्रोआस से जहाज खोलकर हम सीधे सुमात्राके और दूसरे दिन नियापुलिस में आए। वहाँ से हम फिलिप्पी पहुँचे, जो मकिदुनिया प्रान्त का मुख्य नगर और रोमियों की बस्ती है; और हम उस नगर में कुछ दिन तक रहे। सब्त के दिन हम नगर के फाटक के बाहर नदी के किनारे यह समझकर गए कि वहाँ प्रार्थना करने का स्थान होगा, और बैठकर उन स्त्रियों से जो इकट्ठी हुई थीं, बातें करने लगे। लुदिया नामक थुआथीरा नगर की बैंजनी कपड़े बेचनेवाली एक भक्त स्त्री सुन रही थी। प्रभु ने उसका मन खोला कि वह पौलुस की बातों पर चित्त लगाए। जब उसने अपने घराने समेत बपतिस्मा लिया, तो उसने हम से विनती की, “यदि तुम मुझे प्रभु की विश्वासिनी समझते हो, तो चलकर मेरे घर में रहो,” और वह हमें मनाकर ले गई।
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