2 इतिहास 9
9
शीबा की रानी का आगमन
(1 राजा 10:1–13)
1जब शीबा की रानी ने सुलैमान की कीर्ति सुनी, तब वह कठिन कठिन प्रश्नों से उसकी परीक्षा करने के लिये यरूशलेम को चली। वह बहुत भारी दल और मसालों और बहुत सोने और मणि से लदे ऊँट साथ लिये हुए आई, और सुलैमान के पास पहुँचकर उससे अपने मन की सब बातों के विषय बातें कीं। 2सुलैमान ने उसके सब प्रश्नों का उत्तर दिया, कोई बात सुलैमान की बुद्धि से ऐसी बाहर न रही#9:2 मूल में, कोई बात सुलैमान से न छिपी कि वह उसे न बता सके। 3जब शीबा की रानी ने सुलैमान की बुद्धिमानी और उसका बनाया हुआ भवन, 4और उसकी मेज पर का भोजन देखा, और उसके कर्मचारी किस रीति बैठते, और उसके टहलुए किस रीति खड़े रहते और कैसे कैसे कपड़े पहिने रहते हैं, और उसके पिलानेवाले कैसे हैं और वे कैसे कपड़े पहिने हैं, और वह कैसी चढ़ाई है जिससे वह यहोवा के भवन को जाया करता है, जब उसने यह सब देखा, तब वह चकित हो गई।
5तब उसने राजा से कहा, “मैं ने तेरे कामों और बुद्धिमानी की जो कीर्ति अपने देश में सुनी वह सच ही है। 6परन्तु जब तक मैं ने आप ही आकर अपनी आँखों से यह न देखा, तब तक मैं ने उनकी प्रतीति न की; परन्तु तेरी बुद्धि की आधी बड़ाई भी मुझे न बताई गई थी; तू उस कीर्ति से बढ़कर है जो मैं ने सुनी थी। 7धन्य हैं तेरे जन, धन्य हैं तेरे ये सेवक, जो नित्य तेरे सम्मुख उपस्थित रहकर तेरी बुद्धि की बातें सुनते हैं। 8धन्य है तेरा परमेश्वर यहोवा, जो तुझ से ऐसा प्रसन्न हुआ कि तुझे अपनी राजगद्दी पर इसलिये विराजमान किया कि तू अपने परमेश्वर यहोवा की ओर से राज्य करे; तेरा परमेश्वर जो इस्राएल से प्रेम करके उन्हें सदा के लिये स्थिर करना चाहता था, इसी कारण उसने तुझे न्याय और धर्म करने को उनका राजा बना दिया।” 9उसने राजा को एक सौ बीस किक्कार#9:9 अर्थात्, लगभग 4.5 टन सोना, बहुत सा सुगन्धद्रव्य, और मणि दिए; जैसे सुगन्धद्रव्य शीबा की रानी ने राजा सुलैमान को दिए, वैसे देखने में नहीं आए।#मत्ती 12:42; लूका 11:31
10फिर हूराम और सुलैमान दोनों के जहाजी जो ओपीर से सोना लाते थे, वे चन्दन की लकड़ी और मणि भी लाते थे। 11राजा ने चन्दन की लकड़ी से यहोवा के भवन और राजभवन के लिये चबूतरे और गायकों के लिये वीणाएँ और सारंगियाँ बनवाईं; ऐसी वस्तुएँ उससे पहले यहूदा देश में न देख पड़ी थीं। 12फिर शीबा की रानी ने जो कुछ चाहा वह राजा सुलैमान ने उसको उसकी इच्छा के अनुसार दिया; यह उससे अधिक था, जो वह राजा के पास ले आई थी। तब वह अपने जनों समेत अपने देश को लौट गई।
राजा सुलैमान का ऐश्वर्य
(1 राजा 10:14–25)
13जो सोना प्रति वर्ष सुलैमान के पास पहुँचा करता था, उसका तौल छ: सौ छियासठ किक्कार#9:13 अर्थात्, लगभग 25 टन था। 14यह उस से अधिक था जो सौदागर और व्यापारी लाते थे; और अरब देश के सब राजा और देश के अधिपति भी सुलैमान के पास सोना–चाँदी लाते थे। 15राजा सुलैमान ने सोना गढ़ाकर दो सौ बड़ी बड़ी ढालें बनवाईं; एक एक ढाल में छ: छ: सौ शेकेल#9:15 अर्थात्, लगभग 3.5 किलोग्राम गढ़ा हुआ सोना लगा। 16फिर उसने सोना गढ़ाकर तीन सौ छोटी ढालें और भी बनवाईं; एक एक छोटी ढाल में तीन सौ शेकेल#9:16 अर्थात्, लगभग 1.7 किलोग्राम सोना लगा, और राजा ने उनको लबानोनी वन नामक भवन में रख दिया। 17राजा ने हाथीदाँत का एक बड़ा सिंहासन भी बनाया और चोखे सोने से मढ़ाया। 18उस सिंहासन में छ: सीढ़ियाँ और सोने का एक पायदान था; ये सब सिंहासन से जुड़े थे, और बैठने के स्थान के दोनों ओर टेक लगी थी और दोनों टेकों के पास एक एक सिंह खड़ा हुआ बना था। 19छहों सीढ़ियों के दोनों ओर एक एक सिंह खड़ा हुआ बना था, वे सब बारह हुए। किसी राज्य में ऐसा कभी न बना। 20राजा सुलैमान के पीने के सब पात्र सोने के थे, और लबानोनी वन नामक भवन के सब पात्र भी चोखे सोने के थे; सुलैमान के दिनों में चाँदी का कोई मूल्य न था। 21क्योंकि हूराम के जहाजियों के संग राजा के जहाज तर्शीश को जाते थे; और तीन तीन वर्ष के बाद तर्शीश के ये जहाज सोना, चाँदी, हाथीदाँत, बन्दर और मोर लेकर आते थे।
22यों राजा सुलैमान धन और बुद्धि में पृथ्वी के सब राजाओं से बढ़कर हो गया। 23पृथ्वी के सब राजा सुलैमान की उस बुद्धि की बातें सुनने को जो परमेश्वर ने उसके मन में उपजाई थीं उसका दर्शन करना चाहते थे। 24वे प्रति वर्ष अपनी अपनी भेंट अर्थात् चाँदी और सोने के पात्र, वस्त्र–शस्त्र, सुगन्धद्रव्य, घोड़े और खच्चर ले आते थे। 25अपने घोड़ों और रथों के लिये सुलैमान के चार हज़ार घुड़साल और बारह हज़ार घुड़सवार भी थे,#1 राजा 4:26 जिनको उसने रथों के नगरों में और यरूशलेम में राजा के पास ठहरा रखा। 26वह महानद#9:26 अर्थात्, फरात नदी से ले पलिश्तियों के देश और मिस्र की सीमा तक के सब राजाओं पर प्रभुता करता था।#उत्प 15:18; 1 राजा 4:21 27राजा ने ऐसा किया कि बहुतायत के कारण यरूशलेम में चाँदी का मूल्य पत्थरों का सा और देवदारु का मूल्य नीचे के देश के गूलरों का सा हो गया। 28लोग मिस्र से और अन्य सभी देशों से सुलैमान के लिये घोड़े लाते थे।#व्य 17:16
राजा सुलैमान की मृत्यु
(1 राजा 11:41–43)
29आदि से अन्त तक सुलैमान के और सब काम क्या नातान नबी की पुस्तक#9:29 मूल में, के वचनों में, और शीलोवासी अहिय्याह की नबूवत की पुस्तक में, और नबात के पुत्र यारोबाम के विषय इद्दो दर्शी के दर्शन की पुस्तक में नहीं लिखे हैं? 30सुलैमान ने यरूशलेम में सारे इस्राएल पर चालीस वर्ष तक राज्य किया। 31फिर सुलैमान अपने पुरखाओं के संग सो गया और उसको उसके पिता दाऊद के नगर में मिट्टी दी गई; और उसका पुत्र रहूबियाम उसके स्थान पर राजा हुआ।
वर्तमान में चयनित:
2 इतिहास 9: HINOVBSI
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