2 इतिहास 28
28
यहूदा में आहाज का राज्य
(2 राजा 16:1–4)
1जब आहाज राज्य करने लगा तब वह बीस वर्ष का था, और सोलह वर्ष तक यरूशलेम में राज्य करता रहा। उसने अपने मूलपुरुष दाऊद के समान काम नहीं किया, जो यहोवा की दृष्टि में ठीक था, 2परन्तु वह इस्राएल के राजाओं की सी चाल चला, और बाल देवताओं की मूर्तियाँ ढलवाकर बनाईं; 3और हिन्नोम के बेटे की तराई में धूप जलाया, और उन जातियों के घिनौने कामों के अनुसार, जिन्हें यहोवा ने इस्राएलियों के सामने से देश से निकाल दिया था, अपने बच्चों को आग में होम कर दिया। 4ऊँचे स्थानों पर, और पहाड़ियों पर, और सब हरे वृक्षों के नीचे वह बलि चढ़ाया और धूप जलाया करता था।
अराम और इस्राएल के विरुद्ध युद्ध
(2 राजा 16:5)
5इसलिये उसके परमेश्वर यहोवा ने उसको अरामियों के राजा के हाथ कर दिया, और वे उसको जीतकर, उसके बहुत से लोगों को बन्दी बना के दमिश्क को ले गए। वह इस्राएल के राजा के वश में कर दिया गया, जिसने उसे बड़ी मार से मारा। 6रमल्याह के पुत्र पेकह ने, यहूदा में एक ही दिन में एक लाख बीस हज़ार लोगों को जो सब के सब वीर थे, घात किया, क्योंकि उन्होंने अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा को त्याग दिया था।#यशा 7:1 7जिक्री नामक एक एप्रैमी वीर ने मासेयाह नामक एक राजपुत्र को, और राजभवन के प्रधान अज्रीकाम को, और एलकाना को, जो राजा का मंत्री था, मार डाला।
नबी ओदेद
8इस्राएली अपने भाइयों में से स्त्रियों, बेटों और बेटियों को मिलाकर दो लाख लोगों को बन्दी बना के, और उनकी बहुत लूट भी छीनकर शोमरोन की ओर ले चले। 9परन्तु वहाँ ओदेद नामक यहोवा का एक नबी था; वह शोमरोन को आनेवाली सेना से मिलकर उनसे कहने लगा, “सुनो, तुम्हारे पितरों के परमेश्वर यहोवा ने यहूदियों पर झुँझलाकर उनको तुम्हारे हाथ कर दिया है, और तुम ने उनको ऐसा क्रोध करके घात किया जिसकी चिल्लाहट स्वर्ग को पहुँच गई है। 10अब तुम ने ठान लिया है कि यहूदियों और यरूशलेमियों को अपने दास–दासी बनाकर दबाए रखो। क्या तुम भी अपने परमेश्वर यहोवा के यहाँ दोषी नहीं हो? 11इसलिये अब मेरी सुनो और इन बन्दियों को जिन्हें तुम अपने भाइयों में से बन्दी बना के ले आए हो, लौटा दो, यहोवा का क्रोध तो तुम पर भड़का है।” 12तब एप्रैमियों के कुछ मुख्य पुरुष, अर्थात् योहानान का पुत्र अजर्याह, मशिल्लेमोत का पुत्र बेरेक्याह, शल्लूम का पुत्र यहिजकिय्याह, और हदलै का पुत्र अमासा, लड़ाई से आनेवालों का सामना करके, उनसे कहने लगे, 13“तुम इन बन्दियों को यहाँ मत लाओ; क्योंकि तुम ने वह बात ठान ली है जिसके कारण हम यहोवा के यहाँ दोषी हो जाएँगे, और उससे हमारा पाप और दोष बढ़ जाएगा, हमारा दोष तो बड़ा है और इस्राएल पर बहुत क्रोध भड़का है।” 14तब उन हथियारबन्दों ने बन्दियों और लूट को हाकिमों और सारी सभा के सामने छोड़ दिया। 15तब जिन पुरुषों के नाम ऊपर लिखे हैं, उन्होंने उठकर बन्दियों को ले लिया, और लूट में से सब नंगे लोगों को कपड़े, और जूतियाँ पहिनाईं; और खाना खिलाया, और पानी पिलाया, और तेल मला; और तब निर्बल लोगों को गदहों पर चढ़ाकर, यरीहो को जो खजूर का नगर कहलाता है, उनके भाइयों के पास पहुँचा दिया। तब वे शोमरोन को लौट आए।
आहाज का अश्शूर से सहायता माँगना
(2 राजा 16:7–9)
16उस समय राजा आहाज ने अश्शूर के राजाओं के पास दूत भेजकर सहायता माँगी। 17क्योंकि एदोमियों ने यहूदा में आकर उसको मारा, और बन्दियों को ले गए थे। 18पलिश्तियों ने नीचे के देश और यहूदा के दक्षिण प्रदेश के नगरों पर चढ़ाई करके, बेतशेमेश, अय्यालोन और गदेरोत को, और अपने अपने गाँवों समेत सोको, तिम्ना, और गिमजो को ले लिया; और उन में रहने लगे थे। 19यों यहोवा ने इस्राएल के राजा आहाज के कारण यहूदा को दबा दिया, क्योंकि वह निरंकुश होकर चला, और यहोवा से बड़ा विश्वासघात किया। 20तब अश्शूर का राजा तिलगतपिलनेसेर उसके विरुद्ध आया, और उसको कष्ट दिया; दृढ़ नहीं किया। 21आहाज ने तो यहोवा के भवन और राजभवन और हाकिमों के घरों में से धन निकालकर#28:21 मूल में, बाँटकर अश्शूर के राजा को दिया, परन्तु इससे उसको कुछ सहायता न मिली।
आहाज के पाप और उसकी मृत्यु
22क्लेश के समय राजा आहाज ने यहोवा से और भी विश्वासघात किया। 23उसने दमिश्क के देवताओं के लिये जिन्होंने उसको मारा था, बलि चढ़ाया; क्योंकि उसने यह सोचा, कि आरामी राजाओं के देवताओं ने उनकी सहायता की, तो मैं उनके लिये बलि चढ़ाऊँगा कि वे मेरी सहायता करें। परन्तु वे उसके और सारे इस्राएल के पतन का कारण हुए। 24फिर आहाज ने परमेश्वर के भवन के पात्र बटोरकर तुड़वा डाले, और यहोवा के भवन के द्वारों को बन्द कर दिया; और यरूशलेम के सब कोनों में वेदियाँ बनाईं। 25यहूदा के एक एक नगर में उसने पराये देवताओं को धूप जलाने के लिये ऊँचे स्थान बनाए, और अपने पितरों के परमेश्वर यहोवा को रिस दिलाई। 26उसके और कामों, और आदि से अन्त तक उसकी पूरी चाल चलन का वर्णन यहूदा और इस्राएल के राजाओं के इतिहास की पुस्तक में लिखा है। 27अन्त में आहाज अपने पुरखाओं के संग सो गया#यशा 14:28 और उसको यरूशलेम नगर में मिट्टी दी गई, परन्तु वह इस्राएल के राजाओं के कब्रिस्तान में पहुँचाया न गया। उसका पुत्र हिजकिय्याह उसके स्थान पर राज्य करने लगा।
वर्तमान में चयनित:
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