2 इतिहास 10

10
इस्राएल के राज्य का दो भाग हो जाना
(1 राजा 12:1–20)
1रहूबियाम शकेम को गया, क्योंकि सारे इस्राएली उसको राजा बनाने के लिये वहीं गए थे। 2जब नाबात के पुत्र यारोबाम ने यह सुना (वह तो मिस्र में रहता था, जहाँ वह सुलैमान राजा के डर के मारे भाग गया था), तो वह मिस्र से लौट आया। 3तब उन्होंने उसको बुलवा भेजा; अत: यारोबाम और सब इस्राएली आकर रहूबियाम से कहने लगे, 4“तेरे पिता ने तो हम लोगों पर भारी जूआ डाल रखा था, इसलिये अब तू अपने पिता की कठिन सेवा को और उस भारी जूए को जिसे उसने हम पर डाल रखा है कुछ हल्का कर, तब हम तेरे अधीन रहेंगे।” 5उसने उनसे कहा, “तीन दिन के उपरान्त मेरे पास फिर आना।” अत: वे चले गए।
6तब राजा रहूबियाम ने उन बूढ़ों से जो उसके पिता सुलैमान के जीवन भर उसके सामने उपस्थित रहा करते थे, यह कहकर सम्मति ली, “इस प्रजा को कैसा उत्तर देना उचित है, इसमें तुम क्या सम्मति देते हो?” 7उन्होंने उसको यह उत्तर दिया, “यदि तू इस प्रजा के लोगों से अच्छा बर्ताव करके उन्हें प्रसन्न करे और उनसे मधुर बातें कहे, तो वे सदा तेरे अधीन बने रहेंगे।” 8परन्तु उसने उस सम्मति को जो बूढ़ों ने उसको दी थी छोड़ दिया और उन जवानों से सम्मति ली, जो उसके संग बड़े हुए थे और उसके सम्मुख उपस्थित रहा करते थे। 9उनसे उसने पूछा, “मैं प्रजा के लोगों को कैसा उत्तर दूँ, इसमें तुम क्या सम्मति देते हो? उन्होंने तो मुझ से कहा है, ‘जो जूआ तेरे पिता ने हम पर डाल रखा है, उसे तू हल्का कर।’ ” 10जवानों ने जो उस के संग बड़े हुए थे उसको यह उत्तर दिया, “उन लोगों ने तुझ से कहा है, ‘तेरे पिता ने हमारा जूआ भारी किया था, परन्तु तू उसे हमारे लिये हल्का कर;’ तू उनसे यों कहना, ‘मेरी छिंगुलिया मेरे पिता की कटि से भी मोटी ठहरेगी। 11मेरे पिता ने तुम पर जो भारी जुआ रखा था, उसे मैं और भी भारी करूँगा; मेरा पिता तो तुम को कोड़ों से ताड़ना देता था, परन्तु मैं बिच्छुओं से दूँगा।’ ”
12तीसरे दिन जैसे राजा ने ठहराया था, “तीसरे दिन मेरे पास फिर आना,” वैसे ही यारोबाम और सारी प्रजा रहूबियाम के पास उपस्थित हुई। 13तब राजा ने उनसे कड़ी बातें कीं, और रहूबियाम राजा ने बूढ़ों की दी हुई सम्मति छोड़कर 14जवानों की सम्मति के अनुसार उन से कहा, “मेरे पिता ने तो तुम्हारा जूआ भारी कर दिया था, परन्तु मैं उसे और भी कठिन कर दूँगा; मेरे पिता ने तो तुम को कोड़ों से ताड़ना दी, परन्तु मैं बिच्छुओं से ताड़ना दूँगा।” 15इस प्रकार राजा ने प्रजा की विनती न मानी; इसका कारण यह है कि जो वचन यहोवा ने शीलोवासी अहिय्याह के द्वारा नबात के पुत्र यारोबाम से कहा था, उसको पूरा करने के लिये परमेश्‍वर ने ऐसा ही ठहराया था।
16जब समस्त इस्राएलियों ने देखा कि राजा हमारी नहीं सुनता, तब वे बोले,#10:16 मूल में, राजा को उत्तर दिया
“दाऊद के साथ हमारा क्या अंश?
हमारा यिशै के पुत्र में कोई भाग नहीं है।
हे इस्राएलियो, अपने अपने डेरे को चले
जाओ!
अब हे दाऊद, अपने ही घराने की चिन्ता
कर।”#2 शमू 20:1
17तब सब इस्राएली अपने डेरे को चले गए। केवल जितने इस्राएली यहूदा के नगरों में बसे हुए थे, उन्हीं पर रहूबियाम राज्य करता रहा। 18तब राजा रहूबियाम ने हदोराम को जो सब बेगारों पर अधिकारी था भेज दिया, और इस्राएलियों ने उस पर पथराव किया और वह मर गया। तब रहूबियाम फुर्ती से अपने रथ पर चढ़कर यरूशलेम को भाग गया। 19यों इस्राएल दाऊद के घराने से फिर गया और आज तक फिरा हुआ है।

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