1 शमूएल 13

13
पलिश्तियों के विरुद्ध युद्ध
1शाऊल तीस#13:1 कुछ हस्तलेखों में 40 और कुछ में यहाँ संख्या छूट गई है वर्ष का होकर राज्य करने लगा, और उसने इस्राएलियों पर दो#13:1 जान पड़ता है कि दो से अधिक कोई संख्या यहाँ छूट गई है, यथा बत्तीस, बयालीस इत्यादि वर्ष तक राज्य किया।
2फिर शाऊल ने इस्राएलियों में से तीन हज़ार पुरुषों को अपने लिये चुन लिया; और उनमें से दो हज़ार शाऊल के साथ मिकमाश में और बेतेल के पहाड़ पर रहे, और एक हज़ार योनातान के साथ बिन्यामीन के गिबा में रहे; और दूसरे सब लोगों को उसने अपने अपने डेरे में जाने को विदा किया। 3तब योनातान ने पलिश्तियों की उस चौकी को जो गिबा में थी मार लिया; और इसका समाचार पलिश्तियों के कानों में पड़ा। तब शाऊल ने सारे देश में नरसिंगा फुँकवाकर यह कहला भेजा, “इब्री लोग सुनें।” 4और सब इस्राएलियों ने यह समाचार सुना कि शाऊल ने पलिश्तियों की चौकी को मारा है, और यह भी कि पलिश्ती इस्राएल से घृणा करने लगे हैं। तब लोग शाऊल के पीछे चलकर गिलगाल में इकट्ठे हो गए।
5पलिश्ती इस्राएल से युद्ध करने के लिये इकट्ठे हो गए, अर्थात् तीस हज़ार रथ, और छ: हज़ार सवार, और समुद्र तीर की बालू के किनकों के समान बहुत से लोग इकट्ठा हुए; और बेतावेन के पूर्व की ओर जाकर मिकमाश में छावनी डाली। 6जब इस्राएली पुरुषों ने देखा कि हम सकेती में पड़े हैं (और सचमुच लोग संकट में पड़े थे), तब वे लोग गुफ़ाओं, झाड़ियों, चट्टानों, गढ़ियों, और गढ़हों में जा छिपे। 7और कितने इब्री यरदन पार होकर गाद और गिलाद के देशों में चले गए; परन्तु शाऊल गिलगाल ही में रहा, और सब लोग थरथराते हुए उसके पीछे हो लिए।
8वह शमूएल के ठहराए हुए समय, अर्थात् सात दिन तक बाट जोहता रहा;#1 शमू 10:8 परन्तु शमूएल गिलगाल में न आया, और लोग उसके पास से इधर उधर होने लगे। 9तब शाऊल ने कहा, “होमबलि और मेलबलि मेरे पास लाओ।” तब उसने होमबलि को चढ़ाया। 10ज्योंही वह होमबलि को चढ़ा चुका, तो क्या देखता है कि शमूएल आ पहुँचा; और शाऊल उससे मिलने और नमस्कार करने को निकला। 11शमूएल ने पूछा, “तू ने क्या किया?” शाऊल ने कहा, “जब मैं ने देखा कि लोग मेरे पास से इधर उधर हो चले हैं, और तू ठहराए हुए दिनों के भीतर नहीं आया, और पलिश्ती मिकमाश में इकट्ठा हुए हैं, 12तब मैं ने सोचा कि पलिश्ती गिलगाल में मुझ पर अभी आ पड़ेंगे, और मैं ने यहोवा से विनती भी नहीं की है; अत: मैं ने अपनी इच्छा न रहते भी होमबलि चढ़ाया।” 13शमूएल ने शाऊल से कहा, “तू ने मूर्खता का काम किया है; तू ने अपने परमेश्‍वर यहोवा की आज्ञा को नहीं माना; नहीं तो यहोवा तेरा राज्य इस्राएलियों के ऊपर सदा स्थिर रखता। 14परन्तु अब तेरा राज्य बना न रहेगा; यहोवा ने अपने लिये एक ऐसे पुरुष को ढूँढ़ लिया है जो उसके मन के अनुसार है; और यहोवा ने उसी को अपनी प्रजा पर प्रधान होने को ठहराया है,#प्रेरि 13:22 क्योंकि तू ने यहोवा की आज्ञा को नहीं माना।”
15तब शमूएल चल निकला, और गिलगाल से बिन्यामीन के गिबा को गया। और शाऊल ने अपने साथ के लोगों को गिनकर कोई छ: सौ पाए। 16और शाऊल और उसका पुत्र योनातान और जो लोग उनके साथ थे वे बिन्यामीन के गिबा में रहे; और पलिश्ती मिकमाश में डेरे डाले पड़े रहे। 17और पलिश्तियों की छावनी से आक्रमण करनेवाले तीन दल बाँधकर निकले; एक दल ने शूआल नामक देश की ओर फिर के ओप्रा का मार्ग लिया, 18एक और दल ने मुड़कर बेथोरोन का मार्ग लिया, और एक और दल ने मुड़कर उस देश का मार्ग लिया जो सबोईम नामक तराई की ओर जंगल की तरफ है।
19इस्राएल के पूरे देश में लोहार कहीं नहीं मिलता था, क्योंकि पलिश्तियों ने कहा था, “इब्री तलवार या भाला बनाने न पाएँ;” 20इसलिये सब इस्राएली अपने अपने हल की फाल, और भाले, और कुल्हाड़ी, और हँसुआ तेज़ करने के लिये पलिश्तियों के पास जाते थे; 21#13:21 अथवा, उनके हँसुओं, फालों और खेती के त्रिशूलों की धार लगाने की मज़दूरी एक शेकेल का दो तिहाई, और कुल्हाड़ियों की धारें और पैनों की नोकें ठीक करने की मज़दूरी एक शेकेल का एक तिहाई होती थी परन्तु उनके हँसुओं, फालों, खेती के त्रिशूलों, और कुल्हाड़ियों की धारें, और पैनों की नोकें ठीक करने के लिये वे रेती रखते थे। 22इसलिये युद्ध के दिन शाऊल और योनातान के साथियों में से किसी के पास न तो तलवार थी और न भाला, वे केवल शाऊल और उसके पुत्र योनातान के पास थे। 23और पलिश्तियों की चौकी के सिपाही निकलकर मिकमाश के दर्रे को गए।

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