1 राजाओं 12:1-20

1 राजाओं 12:1-20 HINOVBSI

रहूबियाम शकेम को गया, क्योंकि सब इस्राएली उसको राजा बनाने के लिये वहीं गए थे। जब नबात के पुत्र यारोबाम ने यह सुना, (जो अब तक मिस्र में ही था, क्योंकि यारोबाम सुलैमान राजा के डर के मारे भागकर मिस्र में रहता था। अत: लोगों ने उसको बुलवा भेजा) तब यारोबाम और इस्राएल की समस्त सभा रहूबियाम के पास जाकर यों कहने लगी, “तेरे पिता ने तो हम लोगों पर भारी जूआ डाल रखा था; इसलिये अब तू अपने पिता की कठिन सेवा को, और उस भारी जूए को, जो उसने हम पर डाल रखा है, कुछ हल्का कर; तब हम तेरे अधीन रहेंगे।” उसने कहा, “अभी तो जाओ, और तीन दिन के बाद मेरे पास फिर आना।” तब वे चले गए। तब राजा रहूबियाम ने उन बूढ़ों से जो उसके पिता सुलैमान के जीवन भर उसके सामने उपस्थित रहा करते थे सम्मति ली, “इस प्रजा को कैसा उत्तर देना उचित है, इस में तुम क्या सम्मति देते हो?” उन्होंने उसको यह उत्तर दिया, “यदि तू अभी प्रजा के लोगों का दास बनकर उनके अधीन हो और उनसे मधुर बातें कहे, तो वे सदैव तेरे अधीन बने रहेंगे।” रहूबियाम ने उस सम्मति को छोड़ दिया, जो बूढ़ों ने उसको दी थी, और उन जवानों से सम्मति ली, जो उसके संग बड़े हुए थे, और उसके सम्मुख उपस्थित रहा करते थे। उनसे उसने पूछा, “मैं प्रजा के लागों को कैसा उत्तर दूँ? इस में तुम क्या सम्मति देते हो? उन्होंने तो मुझ से कहा है, ‘जो जूआ तेरे पिता ने हम पर डाल रखा है, उसे तू हल्का कर’।” जवानों ने जो उसके संग बड़े हुए थे उसको यह उत्तर दिया, “उन लोगों ने तुझ से कहा है, ‘तेरे पिता ने हमारा जूआ भारी किया था, परन्तु तू उसे हमारे लिये हल्का कर;’ तू उनसे यों कहना, ‘मेरी छिंगुलिया मेरे पिता की कमर से भी मोटी है। मेरे पिता ने तुम पर जो भारी जूआ रखा था, उसे मैं और भी भारी करूँगा; मेरा पिता तो तुम को कोड़ों से ताड़ना देता था, परन्तु मैं बिच्छुओं से दूँगा’।” तीसरे दिन, जैसे राजा ने ठहराया था कि तीसरे दिन मेरे पास फिर आना, वैसे ही यारोबाम और समस्त प्रजागण रहूबियाम के पास उपस्थित हुए। तब राजा ने प्रजा से कड़ी बातें कीं, और बूढ़ों की दी हुई सम्मति छोड़कर, जवानों की सम्मति के अनुसार उनसे कहा, “मेरे पिता ने तो तुम्हारा जूआ भारी कर दिया, परन्तु मैं उसे और भी भारी कर दूँगा : मेरे पिता ने तो कोड़ों से तुम को ताड़ना दी, परन्तु मैं तुम को बिच्छुओं से ताड़ना दूँगा।” इस प्रकार राजा ने प्रजा की बात नहीं मानी, इसका कारण यह है कि जो वचन यहोवा ने शीलोवासी अहिय्याह के द्वारा नबात के पुत्र यारोबाम से कहा था, उसको पूरा करने के लिये उसने ऐसा ही ठहराया था। जब समस्त इस्राएल ने देखा कि राजा हमारी नहीं सुनता, तब वे बोले, “दाऊद के साथ हमारा क्या अंश? हमारा तो यिशै के पुत्र में कोई भाग नहीं! हे इस्राएल अपने अपने डेरे को चले जाओ : अब हे दाऊद, अपने ही घराने की चिन्ता कर।” अत: इस्राएल अपने अपने डेरे को चले गए। केवल जितने इस्राएली यहूदा के नगरों में बसे हुए थे उन पर रहूबियाम राज्य करता रहा। तब राजा रहूबियाम ने अदोराम को जो सब बेगारों पर अधिकारी था भेज दिया, और सब इस्राएलियों ने उस पर पथराव किया, और वह मर गया : तब रहूबियाम फुर्ती से अपने रथ पर चढ़कर यरूशलेम को भाग गया। इस प्रकार इस्राएल दाऊद के घराने से फिर गया, और आज तक फिरा हुआ है। यह सुनकर कि यारोबाम लौट आया है, समस्त इस्राएल ने उसको मण्डली में बुलवा भेजा और सम्पूर्ण इस्राएल के ऊपर राजा नियुक्‍त किया, और यहूदा के गोत्र को छोड़कर दाऊद के घराने से कोई मिला न रहा।

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