सफन्याह 2
2
पश्चात्ताप का आह्वान
1ओ निर्लज्ज राष्ट्र के लोगो:
सब मिलकर आओ, यहाँ एकत्र हो।
2इसके पूर्व कि तुम
भूसे के सदृश उड़ा दिए जाओ,
इसके पहले कि तुम पर
प्रभु का भयंकर क्रोध टूट पड़े,
इसके पहले कि प्रभु का प्रकोप-दिवस
तुम पर छा जाए।
3ओ देश के सब विनम्र लोगो,
प्रभु के आज्ञाकारी लोगो,
प्रभु को खोजो; धार्मिकता को, नम्रता को
ढूंढ़ो।
तब सम्भवत: तुम प्रभु के प्रकोप-दिवस पर
सुरक्षित रह सको।#आमो 5:6; यश 57:15; 66:2; भज 149:4
पड़ोसी राष्ट्रों का पतन
4गाजा नगर-राज्य निर्जन क्षेत्र बनेगा,
अश्कलोन नगर-राज्य उजड़ जाएगा।
अश्दोद के निवासी दिन-दोपहर खदेड़ दिए
जाएंगे,
एक्रोन के नागरिक अपने नगर से उखाड़े
जाएंगे।#यश 14:29-31
5ओ समुद्र-तट पर रहनेवालो,
ओ करेती राष्ट्र, धिक्कार है तुझे।
ओ पलिश्ती देश, ओ कनान!
प्रभु तेरे विरुद्ध बोल रहा है:
‘मैं तुझे पूर्णत: नष्ट करूंगा,
तुझमें एक भी निवासी शेष नहीं रहेगा।’
6ओ समुद्र-तट के देश,
तू विशाल चरागाह बनेगा;
तू चरवाहों का घर होगा,
भेड़ों का बाड़ा बनेगा।
7यहूदा प्रदेश के बचे हुए लोग
समुद्र-तट के देश पर अधिकार करेंगे;
वे उसको चरागाह बनाएंगे।
अश्कलोन नगर-राज्य के घरों में
वे संध्या समय आराम से लेटेंगे,
क्योंकि उनका प्रभु परमेश्वर
उनकी सुधि लेगा, और उनकी समृद्धि लौटाएगा।
8प्रभु ने कहा, ‘मैंने मोआब राष्ट्र के ताने सुने;
मैंने अम्मोनी राष्ट्र के अपशब्द भी सुने।
उन्होंने मेरे निज लोगों पर व्यंग्य बाण छोड़े,
मेरी सीमाओं में घुसकर शेखी बघारी।’#यश 15—16
9अत: इस्राएल का परमेश्वर,
स्वर्गिक सेनाओं का प्रभु कहता है,
‘मेरे जीवन की सौगन्ध!
मोआब का विनाश सदोम की तरह,
अम्मोन का संहार गमोरा के समान होगा।
इन देशों की भूमि पर बिच्छू पौधे उगेंगे।
उनकी भूमि नोनी बन जाएगी
और सदा के लिए उजड़ जाएगी।
मेरी निज प्रजा के बचे हुए लोग उनको लूटेंगे,
मेरे राष्ट्र के अवशिष्ट लोग
उनपर अधिकार करेंगे।’#उत 19:24
10उनके अहंकार का फल यही होगा।
उन्होंने स्वर्गिक सेनाओं के प्रभु के निज
लोगों को ताने मारे
और उनसे शेखी बघारी थी।
11प्रभु उनके लिए भयानक सिद्ध होगा।
वह पृथ्वी के सब देवताओं को भूखों मार
डालेगा।
सब राष्ट्रों के लोग और द्वीप-निवासी,
अपने-अपने स्थान में प्रभु की वन्दना करेंगे।
12‘ओ इथियोपिआ! मैं अपनी तलवार से तेरा
भी वध करूंगा।’#यश 18:1
13प्रभु उत्तर की ओर अपना हाथ उठाएगा,
और असीरिया देश को नष्ट करेगा,
वह नीनवे नगर को उजाड़ देगा,
नीनवे नगर मरुस्थल के समान शुष्क बनेगा।#यश 10:5-34
14पशुओं के झुण्ड, जाति-जाति के पशु
नगर के मध्य पड़े रहेंगे।
धनेश और साही पक्षी खम्भों के शीर्ष में
बसेरा करेंगे।
खिड़कियों में उल्लू हू-हू बोलेंगे।
ड्योढ़ियों में कौवे कांव-कांव करेंगे।
देवदार की कीमती लकड़ी में कीड़े लगेंगे।
15यह वैभवपूर्ण नगरी है।
इसे अपनी सुरक्षा पर विश्वास था।
यह अपने हृदय में सोचती थी:
‘बस मैं ही हूं, मेरे समान कोई अन्य नगरी
नहीं है।’
इसका कैसा विनाश हुआ!
यह जंगली पशुओं की मांद बन गई।
यहां से गुजरनेवाले थू-थू करते हैं,
वे हाथों से उपेक्षा जताते हैं।#यश 47:8
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सफन्याह 2: HINCLBSI
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