रूत 2
2
रूत और बोअज
1नाओमी के पति का एक रिश्तेदार था। उसका नाम बोअज था। उसके पास अपार धन-सम्पत्ति थी। वह एलीमेलक के परिवार का था।#लेव 19:9; व्य 24:19
2मोआबी रूत ने नाओमी से कहा, ‘खेत में सिला बीनने के लिए मुझे जाने दीजिए। जो फसल काटनेवाला मुझ पर कृपा-दृष्टि करेगा, उसके पीछे-पीछे मैं सिला बीनूँगी।’ नाओमी ने उससे कहा, ‘जा, मेरी पुत्री!’ 3अत: रूत चली गई। वह फसल काटनेवाले के पीछे-पीछे सिला बीनने के लिए खेत में आई। संयोगवश रूत खेत के उस भाग में सिला बीनने लगी जो एलीमेलक के सम्बन्धी बोअज का था।
4बोअज बेतलेहम नगर से आया। उसने फसल काटनेवालों से कहा, ‘प्रभु तुम्हारे साथ हो!’ उन्होंने उत्तर दिया, ‘प्रभु आपको आशिष दे।’#भज 129:7 5बोअज ने रूत को देखा तो अपने उस सेवक से पूछा, जो फसल काटनेवालों से काम करा रहा था, ‘यह किस परिवार की लड़की है?’ 6सेवक ने उत्तर दिया, ‘यह मोआब देश की लड़की है। यह नाओमी के साथ मोआब देश से आई है। 7इसने मुझसे पूछा था, “कृपाकर मुझे फसल काटनेवालों के पीछे-पीछे सिला बीनने, और पूलों के आसपास की बालें बटोरने की अनुमति दीजिए।” इसलिए यह खेत में आई, और सबेरे से अब तक निरन्तर काम में जुटी है। इसने क्षण भर भी आराम नहीं किया।’
8बोअज ने रूत से कहा, ‘सुनो,#2:8 मूल में “मेरी पुत्री” अब तुम्हें दूसरे व्यक्ति के खेत में जाकर सिला बीनने की आवश्यकता नहीं। तुम मेरे इस खेत को छोड़कर मत जाना। तुम भी मेरी सेविकाओं के साथ रहना। 9जिस-जिस खेत में वे फसल काटेंगी, तुम उन पर दृष्टि रखना, और उनके पीछे-पीछे जाना। मैंने अपने सेवकों को आदेश दे दिया है कि वे तुम्हें स्पर्श न करें। जब तुम्हें प्यास लगेगी तब घड़ों के पास चली जाना। जो पानी सेवक घड़ों में भरेंगे, तुम उसको पीना।’ 10रूत ने मुँह के बल गिरकर साष्टांग प्रणाम किया। उसने बोअज से पूछा, ‘आपने क्यों मुझ पर कृपादृष्टि की, मुझ पर ध्यान दिया? मैं परदेशिनी हूँ।’ 11बोअज ने उसे उत्तर दिया, ‘जो व्यवहार तुमने अपने पति की मृत्यु के पश्चात् अपनी सास के साथ किया है, वह सब मुझे बताया गया है। मुझे मालूम हुआ है कि तुम अपने माता-पिता और मातृभूमि को छोड़ कर ऐसे लोगों के साथ रहने के लिए आई हो, जिन्हें तुम पहले कभी जानती भी नहीं थीं 12प्रभु तुम्हारे कार्य का पुरस्कार तुम्हें दे। इस्राएलियों का प्रभु परमेश्वर, जिसकी छत्रछाया में तुम आई हो, तुम्हें पूर्ण प्रतिफल दे।’#भज 17:8; 91:1 13रूत ने कहा, ‘मेरे स्वामी, यद्यपि मैं आपकी किसी भी सेविका के बराबर नहीं हूँ तो भी मैंने आपकी कृपा-दृष्टि प्राप्त की। आपने मुझे दिलासा दिया। आपने मुझसे सान्त्वनापूर्ण शब्द कहे।’
14बोअज ने भोजन के समय रूत से कहा, ‘यहाँ आओ। यह रोटी लो, और इसको सिरके में डुबाकर खाओ।’ अत: रूत फसल काटनेवालों के पास बैठ गई। बोअज ने उसे जौ के भुने हुए दाने दिए। उसने पेट भर खाया। उसके पास कुछ बच भी गया। 15जब वह सिला बीनने को उठी तब बोअज ने अपने सेवकों को यह आदेश दिया, ‘पूलों के बीच भी रूत को सिला बीनने देना और उसका अनिष्ट मत करना। 16उसके लिए पूलों में से भी दाने नोचकर गिरा देना, जिससे वह उन्हें भी बीन सके। उसे मत डांटना।’
17रूत सन्ध्या तक खेत में सिला बीनती रही। उसके बाद उसने बीना हुआ जौ फटका। जौ प्राय: दस किलो#2:17 मूल में “एक एपा” निकला! 18उसने उसको उठाया और वह नगर में आई। उसने बीना हुआ अनाज अपनी सास को दिखाया। जो भोजन पेट भर खाने के पश्चात् बच गया था, वह भी उसने अपनी सास को दे दिया। 19सास ने उससे पूछा, ‘आज तूने कहाँ सिला बीना? तू कहाँ काम करती रही? तुझ पर ध्यान देनेवाले व्यक्ति को प्रभु आशिष दे।’ तब रूत ने अपनी सास को बताया कि वह किस व्यक्ति के खेत में काम करती रही। उसने कहा, ‘उस व्यक्ति का नाम, जिसके खेत में आज मैंने काम किया, बोअज है।’ 20नाओमी ने अपनी बहू से कहा, ‘जीवितों और मृतकों दोनों पर करुणा करनेवाला प्रभु, बोअज को आशिष दे।’ नाओमी ने आगे कहा, ‘बोअज हमारा सम्बन्धी है। वह हमारे निकट कुटुम्बियों में से एक है, जिन पर हमारी देखभाल करने का दायित्व है।’#लेव 25:25; रूत 4:4 21रूत ने कहा, ‘उसने मुझ से यह भी कहा, “जब तक मेरे सेवक सब फसल न काट लें तब तक तुम उनके साथ काम में लगी रहना।” ’ 22नाओमी ने रूत से कहा, ‘मेरी पुत्री, यह तेरे लिए अच्छा है कि तू बोअज की सेविकाओं के साथ उसके खेत में जाए। यदि तू दूसरे व्यक्ति के खेत में जाएगी तो वे तुझे स्पर्श कर सकते हैं।’ 23यों रूत बोअज की सेविकाओं के साथ काम में लग गई। वह जौ और गेहूँ की फसल की कटनी तक सिला बीनती रही। वह अपनी सास के साथ ही रहती थी।
वर्तमान में चयनित:
रूत 2: HINCLBSI
हाइलाइट
शेयर
कॉपी
Want to have your highlights saved across all your devices? Sign up or sign in
Hindi CL Bible - पवित्र बाइबिल
Copyright © Bible Society of India, 2015.
Used by permission. All rights reserved worldwide.