रूत 2:15-20

रूत 2:15-20 HINCLBSI

जब वह सिला बीनने को उठी तब बोअज ने अपने सेवकों को यह आदेश दिया, ‘पूलों के बीच भी रूत को सिला बीनने देना और उसका अनिष्‍ट मत करना। उसके लिए पूलों में से भी दाने नोचकर गिरा देना, जिससे वह उन्‍हें भी बीन सके। उसे मत डांटना।’ रूत सन्‍ध्‍या तक खेत में सिला बीनती रही। उसके बाद उसने बीना हुआ जौ फटका। जौ प्राय: दस किलो निकला! उसने उसको उठाया और वह नगर में आई। उसने बीना हुआ अनाज अपनी सास को दिखाया। जो भोजन पेट भर खाने के पश्‍चात् बच गया था, वह भी उसने अपनी सास को दे दिया। सास ने उससे पूछा, ‘आज तूने कहाँ सिला बीना? तू कहाँ काम करती रही? तुझ पर ध्‍यान देनेवाले व्‍यक्‍ति को प्रभु आशिष दे।’ तब रूत ने अपनी सास को बताया कि वह किस व्‍यक्‍ति के खेत में काम करती रही। उसने कहा, ‘उस व्‍यक्‍ति का नाम, जिसके खेत में आज मैंने काम किया, बोअज है।’ नाओमी ने अपनी बहू से कहा, ‘जीवितों और मृतकों दोनों पर करुणा करनेवाला प्रभु, बोअज को आशिष दे।’ नाओमी ने आगे कहा, ‘बोअज हमारा सम्‍बन्‍धी है। वह हमारे निकट कुटुम्‍बियों में से एक है, जिन पर हमारी देखभाल करने का दायित्‍व है।’