आपस में मेल-मिलाप का भाव बनाये रखें। घमण्डी न बनें, बल्कि दीन-दु:खियों से मिलते-जुलते रहें। अपने आप को बुद्धिमान् न समझें। बुराई के बदले बुराई नहीं करें। जो बातें सब मनुष्यों की दृष्टि में सात्विक हैं, उन्हें अपना लक्ष्य बनाएँ। जहाँ तक हो सके, अपनी ओर से सब के साथ शान्तिपूर्ण संबंध रखें।
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