रोमियों 12:12-21

रोमियों 12:12-21 HINCLBSI

आप आशावान हों और आनन्‍द मनाएं। आप संकट में धैर्य रखें तथा प्रार्थना में लगे रहें, सन्‍तों की आवश्‍यकताओं के लिए दान दिया करें और अतिथियों की सेवा करें। अपने अत्‍याचारियों के लिए आशीर्वाद माँगें—हाँ, आशीर्वाद, न कि अभिशाप! आनन्‍द मनाने वालों के साथ आनन्‍द मनायें, रोने वालों के साथ रोयें। आपस में मेल-मिलाप का भाव बनाये रखें। घमण्‍डी न बनें, बल्‍कि दीन-दु:खियों से मिलते-जुलते रहें। अपने आप को बुद्धिमान् न समझें। बुराई के बदले बुराई नहीं करें। जो बातें सब मनुष्‍यों की दृष्‍टि में सात्‍विक हैं, उन्‍हें अपना लक्ष्य बनाएँ। जहाँ तक हो सके, अपनी ओर से सब के साथ शान्‍तिपूर्ण संबंध रखें। प्रिय भाइयो और बहिनो! आप स्‍वयं बदला न लें, बल्‍कि उसे परमेश्‍वर के प्रकोप पर छोड़ दें; क्‍योंकि धर्मग्रंथ में लिखा है : “प्रभु कहता है: प्रतिशोध लेना मेरा काम है, मैं ही बदला लूंगा।” परंतु यह भी लिखा है, “यदि आपका शत्रु भूखा है, तो उसे भोजन खिलायें और यदि वह प्‍यासा है, तो उसे पानी पिलायें; क्‍योंकि ऐसा करने से वह आपके प्रेमपूर्ण व्‍यवहार से पानी-पानी हो जाएगा।” आप बुराई से हार न मानें, बल्‍कि भलाई द्वारा बुराई पर विजय प्राप्‍त करें।

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