भजन संहिता 92

92
परमेश्‍वर की भलाई के लिए स्‍तुतिगान
एक भजन। विश्राम दिवस के लिए गीत।
1हे सर्वोच्‍च प्रभु!
भला है तेरी स्‍तुति करना;
भला है तेरे नाम का गुणगान करना;
2-3दस तार के वाद्य पर, वीणा पर,
सितार के साथ राग के अनुसार,
प्रात: तेरी करुणा,
तथा रात में तेरी सच्‍चाई घोषित करना,
कितना भला है!#भज 33:2
4हे प्रभु, तूने अपने कार्यों से मुझे आनन्‍दित
किया है;
मैं तेरे कार्यों का जयजयकार करूंगा
जो तूने मेरे लिए किये हैं।
5हे प्रभु, तेरे कार्य कितने महान हैं।
तेरे विचार कितने गहन-गंभीर हैं!
6नासमझ यह नहीं जानता
और न मूर्ख यह समझता है#प्रज्ञ 13:1
7कि यद्यपि दुर्जन घास के सदृश
हरे-भरे रहते हैं,
समस्‍त कुकर्मी फलते-फूलते हैं,
तो भी वे सदा-सर्वदा के लिए नष्‍ट हो जाएंगे,
8किन्‍तु प्रभु, तू युग-युगान्‍त उन्नत है।
9प्रभु, तेरे शत्रु, हां तेरे शत्रु मिट जाएंगे;
समस्‍त कुकर्मी छिन्न-भिन्न हो जाएंगे।
10तूने जंगली सांड़ के सींग के सदृश
मेरा सिर ऊंचा किया है।
तूने मुझपर ताजा तेल उण्‍डेला है#92:10 मूल अस्‍पष्‍ट
11मेरी आंखों ने अपने घातकों का पतन देखा,
मेरे कानों ने उन कुकर्मियों के विनाश को
सुना, जो मेरे विरुद्ध खड़े हुए थे।
12धार्मिक व्यक्‍ति खजूर वृक्ष के समान
फलते-फूलते हैं;
वे लबानोन प्रदेश के देवदार-जैसे बढ़ते हैं।
13वे प्रभु के गृह में रोपे गए हैं;
वे हमारे परमेश्‍वर के आंगनों में
फलते-फूलते हैं।
14वे वृद्धावस्‍था में भी फलते हैं;
वे सदा रसमय और हरे-भरे रहते हैं,
15जिससे वे यह घोषित कर सकें
कि प्रभु सच्‍चा है;
वह हमारी चट्टान है;
उसमें लेशमात्र भी अधार्मिकता नहीं है।#व्‍य 32:4

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