भजन संहिता 51:10-17

भजन संहिता 51:10-17 HINCLBSI

हे परमेश्‍वर, मुझ में शुद्ध हृदय उत्‍पन्न कर। तू मेरे भीतर नई और स्‍थिर आत्‍मा निर्मित कर। मुझे अपनी उपस्‍थिति से दूर न कर, तू अपना पवित्र आत्‍मा मुझसे वापस न ले। अपने उद्धार का हर्ष मुझे लौटा दे; उदार आत्‍मा से मुझे सहारा दे। तब मैं अपराधियों को तेरे मार्ग सिखाऊंगा, और पापी तेरी ओर लौटेंगे। हे परमेश्‍वर, मेरे उद्धार के परमेश्‍वर, मुझे रक्‍तपात के दोष से मुक्‍त कर, तब मैं अपने मुंह से तेरी धार्मिकता का जयजयकार करूंगा। हे स्‍वामी, मेरे ओंठों को खोल; तब मेरा मुंह तेरी स्‍तुति करेगा। तू बलि से प्रसन्न नहीं होता; अन्‍यथा मैं बलि चढ़ाता; तू अग्‍निबलि की इच्‍छा नहीं करता। विदीर्ण आत्‍मा की बलि परमेश्‍वर को प्रिय है, हे परमेश्‍वर, तू विदीर्ण और भग्‍न हृदय की उपेक्षा नहीं करता।

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