भजन संहिता 19:7-11

भजन संहिता 19:7-11 HINCLBSI

प्रभु की व्‍यवस्‍था सिद्ध है, आत्‍मा को संजीवन देनेवाली; प्रभु की साक्षी विश्‍वसनीय है, बुद्धिहीन को बुद्धि देने वाली; प्रभु के आदेश न्‍याय-संगत हैं, हृदय को हर्षाने वाले; प्रभु की आज्ञा निर्मल है, आंखों को आलोकित करने वाली; प्रभु का वचन शुद्ध है, सदा स्‍थिर रहने वाला; प्रभु के न्‍याय-सिद्धान्‍त सत्‍य हैं, वे सर्वथा धर्ममय हैं। वे सोने से अधिक चाहने योग्‍य हैं; शुद्ध सोने से भी अधिक वांछनीय हैं; वे मधु से अधिक मधुर हैं; मधुकोष से टपकती मधु की बूंदों से भी अधिक मधुर हैं। इनके द्वारा तेरा सेवक सावधान भी किया जाता है; इनका पालन करना बहुत लाभप्रद है।

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