भजन संहिता 148
148
समस्त सृष्टि प्रभु की स्तुति करे
1प्रभु की स्तुति करो!
स्वर्ग से प्रभु की स्तुति करो,
ऊंचे स्थानों में उसकी स्तुति करो!
2ओ प्रभु के दूतो, उसकी स्तुति करो,
ओ प्रभु की सेनाओ, उसकी स्तुति करो!#भज 103:20-21
3ओ सूर्य और चन्द्रमा, उसकी स्तुति करो,
ओ समस्त प्रकाशवान नक्षत्रो, उसकी स्तुति
करो!
4ओ आकाश, सर्वोच्च आकाश,
ओ आकाश से ऊपर के जल, उसकी स्तुति
करो!#1 रा 8:27; उत 1:7
5ये सब प्रभु के नाम की स्तुति करें;
क्योंकि प्रभु ने आज्ञा दी, और वे निर्मित
हुए।
6प्रभु ने युग-युगान्त के लिए
उन्हें स्थित किया है,
प्रभु ने संविधि प्रदान की है,
जो कभी टल नहीं सकती!
7पृथ्वी पर प्रभु की स्तुति करो,
ओ मगरमच्छो, ओ सागरो,
8ओ अग्नि और ओले,
ओ बर्फ और कुहरे,
ओ प्रभु का वचन पूर्ण करनेवाली प्रचण्ड
वायु।
9ओ पर्वत एवं समस्त घाटियो!
ओ फलवान वृक्षो तथा देवदारो!
10ओ पशुओं, और पालतू जानवरो,
ओ रेंगनेवाले जन्तुओ, ओ उड़नेवाले
पक्षियो!
प्रभु की स्तुति करो।#यश 43:20
11पृथ्वी के राजागण,
और समस्त जातियां,
शासक एवं पृथ्वी के समस्त न्यायकर्ता;
12युवक और युवतियाँ भी;
बच्चों समेत वृद्ध भी;
13ये सब प्रभु के नाम की स्तुति करें;
क्योंकि केवल प्रभु का नाम महान है,
उसकी महिमा पृथ्वी और आकाश के ऊपर है।
14प्रभु ने अपने निज लोगों को शक्तिमान
बनाया है;
समस्त सन्तों के लिए
इस्राएल की सन्तान के लिए,
उस प्रजा के लिए जो प्रभु के निकट है,
यह स्तुति का विषय है।
प्रभु की स्तुति करो!
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