भजन संहिता 148:1-14

भजन संहिता 148:1-14 HINCLBSI

प्रभु की स्‍तुति करो! स्‍वर्ग से प्रभु की स्‍तुति करो, ऊंचे स्‍थानों में उसकी स्‍तुति करो! ओ प्रभु के दूतो, उसकी स्‍तुति करो, ओ प्रभु की सेनाओ, उसकी स्‍तुति करो! ओ सूर्य और चन्‍द्रमा, उसकी स्‍तुति करो, ओ समस्‍त प्रकाशवान नक्षत्रो, उसकी स्‍तुति करो! ओ आकाश, सर्वोच्‍च आकाश, ओ आकाश से ऊपर के जल, उसकी स्‍तुति करो! ये सब प्रभु के नाम की स्‍तुति करें; क्‍योंकि प्रभु ने आज्ञा दी, और वे निर्मित हुए। प्रभु ने युग-युगान्‍त के लिए उन्‍हें स्‍थित किया है, प्रभु ने संविधि प्रदान की है, जो कभी टल नहीं सकती! पृथ्‍वी पर प्रभु की स्‍तुति करो, ओ मगरमच्‍छो, ओ सागरो, ओ अग्‍नि और ओले, ओ बर्फ और कुहरे, ओ प्रभु का वचन पूर्ण करनेवाली प्रचण्‍ड वायु। ओ पर्वत एवं समस्‍त घाटियो! ओ फलवान वृक्षो तथा देवदारो! ओ पशुओं, और पालतू जानवरो, ओ रेंगनेवाले जन्‍तुओ, ओ उड़नेवाले पक्षियो! प्रभु की स्‍तुति करो। पृथ्‍वी के राजागण, और समस्‍त जातियां, शासक एवं पृथ्‍वी के समस्‍त न्‍यायकर्ता; युवक और युवतियाँ भी; बच्‍चों समेत वृद्ध भी; ये सब प्रभु के नाम की स्‍तुति करें; क्‍योंकि केवल प्रभु का नाम महान है, उसकी महिमा पृथ्‍वी और आकाश के ऊपर है। प्रभु ने अपने निज लोगों को शक्‍तिमान बनाया है; समस्‍त सन्‍तों के लिए इस्राएल की सन्‍तान के लिए, उस प्रजा के लिए जो प्रभु के निकट है, यह स्‍तुति का विषय है। प्रभु की स्‍तुति करो!

निःशुल्क पठन योजनाएँ और भक्तिपूर्ण पठन योजनाएँ जो भजन संहिता 148:1-14 से संबंधित हैं

YouVersion आपके अनुभव को वैयक्तिकृत करने के लिए कुकीज़ का उपयोग करता है। हमारी वेबसाइट का उपयोग करके, आप हमारी गोपनीयता नीति में वर्णित कुकीज़ के हमारे उपयोग को स्वीकार करते हैं।