ओ मेरे प्राण, उस प्रभु को धन्य कह, और उसके समस्त उपकारों को न भूल, जो तेरे सब अधर्म को क्षमा करता है, जो तेरे समस्त रोगों को स्वस्थ करता है, जो तेरे जीवन को कबर से मुक्त करता है, जो तुझे करुणा और अनुकम्पा से सुशोभित करता है, जो जीवन भर तुझे भली वस्तुओं से तृप्त करता है, जिससे तेरा यौवन गरुड़ के सदृश गतिवान हो जाता है।
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