नीतिवचन 5:15-20

नीतिवचन 5:15-20 HINCLBSI

मेरे पुत्र, अपने निजी जल-कुण्‍ड से, अपने कुएं के झरने से पानी पीना! क्‍या तू यह चाहता है कि तेरे झरने की जलधाराएं इधर-उधर फैल जाएं; तेरे जल-स्रोत सड़क पर बहने लगें? नहीं, उन पर केवल तेरा ही अधिकार हो, वे तेरे ही हों, किसी अजनबी के न हों। तेरा झरना सदा हरा-भरा रहे; तु अपनी युवावस्‍था की पत्‍नी से ही सदा सुखी रहना; वह तेरी दृष्‍टि में हमेशा सुन्‍दर हरिणी, आकर्षक सांभरनी बनी रहे। उसका प्रेम सदा तुझे रसमय बनाए रखे, तू उसके प्रेम में सदा डूबे रहना। मेरे पुत्र, तू परायी स्‍त्री पर क्‍यों मोहित हो? तू किसी व्‍यभिचारिणी को क्‍यों सीने से लगाए?

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