नीतिवचन 27:1-14

नीतिवचन 27:1-14 HINCLBSI

आनेवाले कल के सम्‍बन्‍ध में शेखी मत मारना; क्‍योंकि तू नहीं जानता है कि कल क्‍या होगा? तू अपनी प्रशंसा अपने मुंह से न करना; दूसरे लोग तेरी प्रशंसा करें तो करें। दूसरे मनुष्‍य के मुख से तेरी प्रशंसा हो, यह शोभा देता है; अपने आप मियां-मिट्ठू मत बनना। पत्‍थर भारी होता है रेत भी वजनदार होती है, पर इनसे अधिक भारी होता है मूर्ख मनुष्‍य का क्रोध। क्रोध निर्दय होता है; गुस्‍सा मनुष्‍य को दबोच देता है; पर ईष्‍र्या के सामने कौन ठहर सकता है? प्रेम जो सक्रिय नहीं है, उससे उत्तम है ताड़ना जो मनुष्‍य को सुधारती है। शत्रु के अपार प्‍यार से सच्‍चे मित्र की मार श्रेष्‍ठ है। जिसका पेट भरा है, उसको शहद भी फीका लगता है; परन्‍तु जिसका पेट खाली है, उसको कड़ुवी वस्‍तु भी मीठी लगती है। घर छोड़कर चला जानेवाला आदमी उस पक्षी की तरह भटकता है, जो अपने घोंसले से दूर चला गया है। तेल और इत्र से हृदय प्रसन्न होता है; किन्‍तु संकट से मन घबरा जाता है। अपने मित्र को, और अपने पिता के मित्र को कभी मत छोड़ना; अपने संकट के दिन अपने भाई के घर में पैर मत रखना। दूर रहनेवाले भाई से पास रहनेवाला पड़ोसी उत्तम है। मेरे पुत्र, बुद्धिमान बन, जिससे मेरा हृदय आनन्‍दित हो, और मैं उस मनुष्‍य का मुंह बन्‍द कर सकूं जो तेरे कारण मेरी निन्‍दा करता है। चतुर मनुष्‍य खतरे को देखकर स्‍वयं को छिपा लेता है; पर भोला मनुष्‍य खतरे के मुंह में चला जाता है, और कष्‍ट भोगता है। यदि किसी मनुष्‍य ने अजनबी आदमी की जमानत दी है, तो उससे उसका वस्‍त्र गिरवी रख लेना; और यदि वह विदेशी की जमानत देता है, तो उससे बन्‍धक की वस्‍तु लेना। यदि कोई मनुष्‍य सबेरे उठकर ऊंची आवाज में अपने पड़ोसी को आशीर्वाद देता है, तो यह वास्‍तव में शाप बन जाएगा।