मनुष्य मन में योजनाएं बनाता है, परन्तु उनको सफल करना− यह प्रभु की इच्छा पर निर्भर है। मनुष्य अपनी दृष्टि में अपने प्रत्येक आचरण को शुद्ध मानता है; किन्तु प्रभु उसकी आत्मा को तौलता है। अपना कार्य प्रभु को सौंप दो, तो तुम्हारी योजनाएं अवश्य सफल होंगी। प्रभु ने हर एक वस्तु को विशेष उद्देश्य के लिए रचा है; अत: दुर्जन निस्सन्देह दु:ख भोगेगा!
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