किन्तु मैं जिन बातों को लाभ समझता था, उन्हें मसीह के कारण हानि समझने लगा हूँ। इतना ही नहीं, मैं अपने प्रभु येशु मसीह को जानना सर्वश्रेष्ठ लाभ मानता हूँ और इस ज्ञान की तुलना में हर वस्तु को हानि ही मानता हूँ। उन्हीं के लिए मैंने सब कुछ छोड़ दिया है और उसे कूड़ा समझता हूँ, जिससे मैं मसीह को प्राप्त करूँ और उनके साथ पूर्ण रूप से एक हो जाऊं। मुझे अपनी धार्मिकता का नहीं, जो व्यवस्था के पालन से मिलती है, बल्कि उस धार्मिकता का भरोसा है, जो मसीह में विश्वास करने से मिलती है। उस धार्मिकता का उद्गम परमेश्वर है और उसका आधार विश्वास है। मैं यह चाहता हूँ कि मसीह को जान लूँ। उनके पुनरुत्थान के सामर्थ्य का अनुभव करूँ और मृत्यु में उनके सदृश बन कर उनके दु:खभोग का सहभागी बन जाऊं, जिससे मैं किसी तरह मृतकों के पुनरुत्थान तक पहुँच सकूँ। मैं यह नहीं कहता कि मैं अब तक यह सब कर चुका हूँ अथवा मुझे पूर्णता प्राप्त हो गयी है; किन्तु मैं आगे बढ़ रहा हूँ ताकि वह लक्ष्य मेरी पकड़ में आये, जिसके लिए येशु मसीह ने मुझे अपने अधिकार में ले लिया है। भाइयो और बहिनो! मैं यह नहीं समझता हूँ कि वह लक्ष्य अब तक मेरी पकड़ में आया है। मैं इतना ही कहता हूँ कि पीछे की बातें भुला कर और आगे की बातों पर दृष्टि लगा कर मैं बड़ी उत्सुकता से अपने लक्ष्य की ओर दौड़ रहा हूँ, ताकि मैं स्वर्ग में वह पुरस्कार प्राप्त कर सकूँ जिसके लिए परमेश्वर ने हमें येशु मसीह में बुलाया है। हम में जितने लोग परिपक्व हैं, उनका यही मनोभाव होना चाहिए और यदि किसी विषय पर आपका दृष्टिकोण भिन्न हो, तो परमेश्वर आपको इसके सम्बन्ध में ज्योति प्रदान करेगा।
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