ओबद्याह 1
1
एदोम का पतन
1ओबद्याह का दर्शन :
प्रभु ने हमें यह संदेश दिया।
स्वामी-प्रभु ने एदोम राष्ट्र के संबंध में यों
कहा :
“मैंने राष्ट्रों में इस समाचार के साथ एक दूत
भेजा है :
“युद्ध के लिए तत्पर हो।
एदोम से युद्ध करने के लिए तैयार हो।#यिर 49:14” #यश 34
2ओ एदोम, मैं तुझे विश्व के राष्ट्रों में अत्यन्त
तुच्छ बनाऊंगा।
तुझसे सब राष्ट्र अत्यधिक घृणा करेंगे।
3ओ पहाड़ों की कंदराओं में रहनेवाले,
ओ ऊंचे स्थानों में निवास करनेवाले,
तेरे हृदय के घमण्ड ने तुझे धोखा दिया।
तू अपने हृदय में यह कहता था:
“कौन मुझे जमीन पर उतार सकता है?” #यश 14:13
4यद्यपि तू बाज के समान ऊंचा उड़ता है;
यद्यपि तेरा घोंसला तारों के मध्य है;
तो भी मैं तुझे जमीन पर उतारूंगा।’
प्रभु ने यह कहा है।
5‘यदि चोर तेरे घर में घुसते,
या लुटेरे रात में डाका डालते,
तो वे इतना ही लूटते
जितना उनके लिए काफी होता!
यदि अंगूर तोड़नेवाले तेरे पास आते
तो वे निस्सन्देह कुछ छोड़ देते।
6किन्तु उन्होंने एसाव को कितनी बुरी तरह
लूटा!
उसके खजाने कैसे ढूँढ़ कर निकाले गए।
7तेरे सब सन्धिबद्ध राजाओं ने तुझे धोखा दिया;
उन्होंने तुझे सीमा तक खदेड़ दिया।
तेरे संघ के राजा तुझ पर प्रबल हो गए।
जो तेरे साथ तेरी थाली में भोजन करते थे,
उन्होंने तुझे फांसने के लिए जाल बिछाया है।
वे तेरे विषय में कहते हैं:
“उसमें कुछ समझ नहीं है।”
8मैं-प्रभु यह कहता हूँ : उस दिन मैं
एदोम राष्ट्र में बुद्धिमान मनुष्यों का अन्त कर
दूंगा; एसाव पर्वत से समझ को हटा दूंगा।
9ओ तेमान नगर,
तेरे योद्धाओं का साहस समाप्त हो जाएगा।
अत: एसाव पर्वत के निवासी कट-कट कर
गिरेंगे।
10‘ओ एसाव, तूने अपने भाई याकूब के साथ
हिंसापूर्ण व्यवहार किया था।
अत: लज्जा से तुझे सिर झुकाना होगा;
तू सदा-सर्वदा के लिए नष्ट हो जाएगा।
11जिस दिन विदेशी राष्ट्र तेरे भाई की सम्पत्ति
लूट कर ले गए,
जिस दिन विदेशी सैनिक
उसके नगर के प्रवेश-द्वारों में घुसे थे,
यरूशलेम को परस्पर बांटने के लिए
उन्होंने चिट्ठी डाली थी,
उस दिन तू अलग खड़ा था,
मानो तू भी उन लुटेरों में एक था।
12अपने भाई के दुर्दिन में, उसके संकट के दिन में
तू उसकी ओर ताकता भर रहा।
यहूदा प्रदेश के विनाश के दिन
तुझे आनन्दित नहीं होना था।
उनके संकट के दिन तुझे डींग नहीं मारना
था।
13जब मेरे निज लोग संकट में थे,
उस दिन तुझे उनके नगर में प्रवेश नहीं करना
था।
उनके विपत्ति के दिन
तुझे उनकी ओर केवल ताकना नहीं था।
जब उन पर विपत्ति आई थी,
तब तुझे उनकी धन-सम्पत्ति लूटनी नहीं थी।
14जब वे प्राण बचाकर भाग रहे थे
तब तुझे चौराहे पर खड़े होकर
भागनेवालों का वध नहीं करना था।
तुझे संकट के दिन
अपने बचे हुए जाति-भाइयों को
शत्रु के हाथ में नहीं सौंपना था।
15‘प्रभु का दिन समस्त राष्ट्रों के समीप आ
पहुंचा।
और एसाव, जैसा तूने अपने भाई के साथ
किया, वैसा ही तेरे साथ किया जाएगा।
तेरे दुष्कर्म तेरे सिर पर ही पड़ेंगे।
इस्राएल का पुन: प्रतिष्ठित होना
16‘इस्राएल, जैसा तूने मेरे पवित्र पर्वत पर
मेरे क्रोध का प्याला पीया,
वैसा ही तेरे चारों ओर के राष्ट्र पियेंगे,
वे पियेंगे, और लड़खड़ा कर गिरेंगे।
उनका अस्तित्व भी समाप्त हो जाएगा।
17सियोन पर्वत पर बचे हुए लोग निवास करेंगे।
सियोन पर्वत पुन: पवित्र होगा,
याकूब वंशीय पुन: अपना अधिकार प्राप्त
करेंगे।#योए 2:32
18याकूब वंश अग्नि के सदृश होगा,
और यूसुफ वंश एक ज्वाला।
एसाव वंश भूसा होगा।
वे उसमें आग लगाएंगे।
और उसको भस्म कर देंगे।
एसाव वंशीय एक भी व्यक्ति शेष नहीं
रहेगा। प्रभु ने ऐसा ही कहा है।
19नेगेब क्षेत्र के लोग
एसाव पर्वत पर अधिकार करेंगे;
शफेलाह क्षेत्र के लोग
पलिश्ती देश पर अधिकार करेंगे।
वे एफ्रइम प्रदेश तथा सामरी प्रदेश पर भी
अधिकार करेंगे।
बिन्यामिन कुल गिलआद क्षेत्र पर अधिकार
करेगा।
20इस्राएली#1:20 मूल में, “इस्राएल के पुत्रों की सेना” जो हाला जिले में बन्दी थे,
वे कनान देश से सारफत नगर तक अधिकार
करेंगे।
यरूशलेम निवासी, जो सपाराद नगर में हैं,
वे नेगेब क्षेत्र के नगरों पर अधिकार करेंगे।
21बचाए हुए व्यक्ति सियोन पर्वत पर जाएंगे,
और वे एसाव पर्वत पर शासन करेंगे।
यह राज्य प्रभु का होगा।’#मी 4:7
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