येशु घर आए और फिर इतनी भीड़ एकत्र हो गयी कि उन लोगों को भोजन करने की भी फुरसत नहीं रही। जब येशु के सम्बन्धियों ने यह सुना, तो वे उन को बलपूर्वक ले जाने के लिए निकले; क्योंकि वे कहते थे कि उन्हें अपनी सुध-बुध नहीं रह गयी है। यरूशलेम से आये हुए शास्त्रियों ने भी यह कहा, “उसे बअलजबूल सिद्ध है” और “वह भूतों के नायक की सहायता से भूतों को निकालता है।” येशु ने उन्हें अपने पास बुला कर दृष्टान्तों में उनसे कहा, “शैतान, शैतान को कैसे निकाल सकता है? यदि किसी राज्य में फूट पड़ जाए तो वह राज्य टिक नहीं सकता। यदि किसी घर में फूट पड़ जाए तो वह घर टिक नहीं सकता। यदि शैतान अपने ही विरुद्ध विद्रोह करे तो उसके यहाँ फूट पड़ गयी और वह टिक नहीं सकता, बल्कि उसका अंत हो जाता है। “कोई किसी बलवान् के घर में घुस कर उसकी सम्पत्ति तब तक नहीं लूट सकता, जब तक कि वह उस बलवान् को न बाँध ले। इसके बाद ही वह उसका घर लूट सकता है। “मैं तुम से सच कहता हूँ, मनुष्य चाहे जो भी पाप या ईश-निन्दा करें, उन्हें सब की क्षमा मिल जाएगी; परन्तु पवित्र आत्मा की निन्दा करने वाले को कभी भी क्षमा नहीं मिलेगी। वह अनन्त पाप का अपराधी है।” येशु ने यह इसीलिए कहा कि शास्त्रियों ने उनके बारे में यह कहा था, “उसमें अशुद्ध आत्मा है।” उस समय येशु की माता और भाई-बहिन आए। उन्होंने घर के बाहर से उन्हें बुला भेजा। लोग येशु के चारों ओर बैठे हुए थे। उन्होंने येशु से कहा, “देखिए, आपकी माता, आपके भाई और आपकी बहिनें बाहर हैं। वे आप को पूछ रहे हैं।” येशु ने उत्तर दिया, “कौन है मेरी माता, कौन हैं मेरे भाई-बहिन?” फिर उन्होंने अपने चारों ओर बैठे हुए लोगों पर दृष्टि दौड़ायी और कहा, “ये हैं मेरी माता और मेरे भाई-बहिन। जो व्यक्ति परमेश्वर की इच्छा पूरी करता है, वही है मेरा भाई, मेरी बहिन और मेरी माता।”
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