वे उपदेश करते हैं, ‘हमें उपदेश मत सुना; तुझे ऐसी नबूवत का उपदेश नहीं करना चाहिए, क्योंकि हमें पतन का अपमान सहना नहीं पड़ेगा।’ प्रभु कहता है, ‘ओ याकूब के वंशजो, क्या मनुष्य मुझ से यह प्रश्न पूछ सकता है, “क्या प्रभु का आत्मा धीरज खो बैठा है? क्या यह उसके कार्य हैं? क्या सदाचारी के प्रति उसके वचन हितकर नहीं होते?” किन्तु तुम शत्रु के समान मेरे अपने लोगों के विरुद्ध खड़े हो। जो लड़ाई की इच्छा भी नहीं रखते, जो तुम पर विश्वास करके राह से गुजरते हैं, उन शान्तिप्रिय लोगों के कपड़े तुम उतार लेते हो। मेरे अपने लोगों की स्त्रियों को तुम उनके प्रिय घरों से निकालते हो, तुम उनके बच्चों से मेरी महिमा को छीनते हो। उठो, और जाओ, यह विश्राम-स्थल नहीं है। तुम्हारी अशुद्धता के कारण निस्सन्देह उसका महासंहार होगा!’ यदि कोई खाली बातें करता और झूठ बोलता हुआ, इधर-उधर फिरता है, और यह कहता है, ‘मैं तुम्हें मदिरा और शराब के पक्ष में उपदेश दूंगा’ तो ये लोग उसको अपना उपदेशक स्वीकार कर लेते हैं!
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