मत्ती 26:31-75

मत्ती 26:31-75 HINCLBSI

उस समय येशु ने शिष्‍यों से कहा, “आज रात को मेरे विषय में तुम सब के विश्‍वास का पतन होगा; क्‍योंकि धर्मग्रन्‍थ में यह लिखा है : ‘मैं चरवाहे को मारूँगा और झुण्‍ड की भेड़ें तितर-बितर हो जाएँगी’, किन्‍तु अपने पुनरुत्‍थान के पश्‍चात् मैं तुम लोगों से पहले गलील प्रदेश को जाऊंगा।” इस पर पतरस ने येशु से कहा, “चाहे आपके विषय में सब के विश्‍वास का पतन हो जाए; किन्‍तु मेरे विश्‍वास का पतन कभी नहीं होगा।” येशु ने उसे उत्तर दिया, “मैं तुम से सच कहता हूँ : आज रात को, मुर्गे के बाँग देने से पहले ही, तुम मुझे तीन बार अस्‍वीकार करोगे।” पतरस ने उन से कहा, “मुझे आपके साथ चाहे मरना ही क्‍यों न पड़े, मैं आप को कभी अस्‍वीकार नहीं करूँगा।” इसी प्रकार अन्‍य सब शिष्‍यों ने भी कहा। तब येशु अपने शिष्‍यों के साथ गतसमनी नामक स्‍थान पर आए। वह उन से बोले, “तुम लोग यहाँ बैठो। मैं तब तक वहाँ प्रार्थना करने जाता हूँ।” वह पतरस और जबदी के दोनों पुत्रों को अपने साथ ले गये। येशु उदास तथा व्‍याकुल होने लगे और उन से बोले, “मैं अत्‍यन्‍त व्‍याकुल हूँ मानो मेरे प्राण निकल रहे हों! तुम यहाँ ठहरो और मेरे साथ जागते रहो।” येशु कुछ आगे बढ़े और उन्‍होंने भूमि पर मुँह के बल गिर कर यह प्रार्थना की, “मेरे पिता! यदि हो सके, तो यह प्‍याला मुझ से टल जाए। फिर भी मेरी नहीं, बल्‍कि तेरी इच्‍छा पूरी हो।” तब वह अपने शिष्‍यों के पास गये और उन्‍हें सोया हुआ देख कर पतरस से बोले, “क्‍या तुम लोग घण्‍टे भर भी मेरे साथ नहीं जाग सके? जागते रहो और प्रार्थना करते रहो, जिससे तुम परीक्षा में न पड़ो। आत्‍मा तो तत्‍पर है, परन्‍तु शरीर दुर्बल।” वह फिर दूसरी बार गये और उन्‍होंने यह प्रार्थना की, “मेरे पिता! यदि यह प्‍याला मेरे पिये बिना नहीं टल सकता, तो तेरी ही इच्‍छा पूरी हो।” लौटने पर उन्‍होंने अपने शिष्‍यों को फिर सोया हुआ पाया, क्‍योंकि उनकी आँखें नींद से भारी हो रही थीं। येशु उन्‍हें छोड़ कर फिर गये और उन्‍हीं शब्‍दों को दोहराते हुए उन्‍होंने तीसरी बार प्रार्थना की। इसके पश्‍चात् वह अपने शिष्‍यों के पास आए और उनसे कहा, “अब तक सो रहे हो? आराम कर रहे हो? देखो! वह घड़ी निकट आ गयी है। मानव-पुत्र पापियों के हाथ पकड़वाया जा रहा है। उठो! हम चलें! देखो, मुझे पकड़वाने वाला निकट आ गया है।” येशु यह कह ही रहे थे कि बारहों में से एक, अर्थात् यूदस आ गया। उसके साथ तलवारें और लाठियाँ लिये एक बड़ी भीड़ थी, जिसे महापुरोहितों और समाज के धर्मवृद्धों ने भेजा था। पकड़वाने वाले ने उन्‍हें यह कहते हुए संकेत दिया था, “मैं जिसका चुम्‍बन करूँगा, वही है। उसे पकड़ लेना।” उसने तुरन्‍त येशु के पास आ कर कहा, “गुरुवर! प्रणाम!” और उनका चुम्‍बन किया। येशु ने उससे कहा, “मित्र! जो करने आए हो, उसे कर लो।” तब लोग आगे बढ़ आए और उन्‍होंने येशु पर हाथ डाले और उन्‍हें गिरफ्‍तार कर लिया। इस पर येशु के एक साथी ने अपनी तलवार खींच ली और प्रधान महापुरोहित के सेवक पर चला कर उसका कान उड़ा दिया। येशु ने उससे कहा, “तलवार म्‍यान में कर लो, क्‍योंकि जो तलवार उठाते हैं, वे तलवार से ही मारे जाते हैं। क्‍या तुम यह समझते हो कि मैं अपने पिता से सहायता नहीं माँग सकता? क्‍या वह इसी क्षण मेरे लिए स्‍वर्गदूतों की बारह से भी अधिक सेनाएँ नहीं भेज देगा? लेकिन तब धर्मग्रन्‍थ का लेख कैसे पूरा होगा, जिसके अनुसार ऐसा होना अनिवार्य है?” उस समय येशु ने भीड़ से कहा, “क्‍या तुम लोग मुझे डाकू समझते हो, जो तलवारें और लाठियाँ ले कर मुझे पकड़ने आए हो? मैं तो प्रतिदिन मन्‍दिर में बैठ कर शिक्षा दिया करता था, फिर भी तुम ने मुझे गिरफ्‍तार नहीं किया। यह सब इसलिए हुआ कि नबियों के ग्रन्‍थों में जो लिखा है, वह पूरा हो जाए।” तब सब शिष्‍य येशु को छोड़कर भाग गये। जिन्‍होंने येशु को गिरफ्‍तार किया था, वे उन्‍हें प्रधान महापुरोहित काइफा के यहाँ ले गये, जहाँ शास्‍त्री और धर्मवृद्ध इकट्ठे हो गये थे। पतरस कुछ दूरी पर येशु के पीछे-पीछे गया। वह प्रधान महापुरोहित के भवन के आंगन तक गया और परिणाम जानने के लिए भीतर जाकर सेवकों के साथ बैठ गया। महापुरोहित और सारी धर्म-महासभा येशु को मार डालने के उद्देश्‍य से उनके विरुद्ध झूठी गवाही खोज रही थी, परन्‍तु वह मिली नहीं, यद्यपि बहुत-से झूठे गवाह सामने आए। अन्‍त में दो गवाह आकर बोले, “इस व्यक्‍ति ने कहा था, ‘मैं परमेश्‍वर का मन्‍दिर ढा सकता हूँ और तीन दिनों में उसे फिर बना सकता हूँ।” इस पर प्रधान महापुरोहित ने खड़ा हो कर येशु से कहा, “ये लोग तुम्‍हारे विरुद्ध जो गवाही दे रहे हैं, क्‍या इसका उत्तर तुम्‍हारे पास नहीं है?” परन्‍तु येशु चुप रहे। तब प्रधान महापुरोहित ने येशु से कहा, “तुम्‍हें जीवन्‍त परमेश्‍वर की शपथ! यदि तुम मसीह हो, परमेश्‍वर के पुत्र हो, तो हमें बता दो।” येशु ने उत्तर दिया, “आपने कह दिया। मैं आप लोगों से यह भी कहता हूँ, अब से आप मानव-पुत्र को सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर की दाहिनी ओर विराजमान और आकाश के बादलों पर आता हुआ देखेंगे।” इस पर प्रधान महापुरोहित ने अपने वस्‍त्र फाड़े और कहा, “इसने ईश-निन्‍दा की है। तो अब हमें गवाहों की जरूरत ही क्‍या है? अभी-अभी आप लोगों ने ईश-निन्‍दा सुनी है। आप लोगों का क्‍या विचार है?” उन्‍होंने उत्तर दिया, “यह प्राणदण्‍ड के योग्‍य है।” तब उन्‍होंने येशु के मुँह पर थूका और उन्‍हें घूँसे मारे। कुछ लोगों ने उन्‍हें थप्‍पड़ मारते हुए यह कहा, “मसीह! यदि तू नबी है, तो हमें बता कि तुझे किसने मारा?” पतरस उस समय बाहर आंगन में बैठा हुआ था। एक सेविका ने पास आ कर उस से कहा, “तुम भी गलील-निवासी येशु के साथ थे।” किन्‍तु उसने सब के सामने अस्‍वीकार करते हुए कहा, “मैं नहीं जानता कि तुम क्‍या कह रही हो।” इसके बाद पतरस बाहर प्रवेश-द्वार पर चला गया। किन्‍तु एक दूसरी सेविका ने उसे देख लिया और वहाँ खड़े हुए लोगों से कहा, “यह व्यक्‍ति येशु नासरी के साथ था।” पतरस ने शपथ खा कर फिर अस्‍वीकार किया और कहा, “मैं उस मनुष्‍य को नहीं जानता।” इसके थोड़ी देर बाद आसपास खड़े लोग पतरस के पास आए और बोले, “निश्‍चय ही तुम भी उन्‍हीं लोगों में से एक हो। यह तो तुम्‍हारी बोली से ही स्‍पष्‍ट है।” तब पतरस अपने आप को कोसने और शपथ खा कर कहने लगा, “मैं उस मनुष्‍य को जानता तक नहीं।” ठीक उसी समय मुर्गे ने बाँग दी। अब पतरस को येशु के वे शब्‍द स्‍मरण हुए जो उन्‍होंने उससे कहे थे : “मुर्गे के बाँग देने से पहले ही तुम मुझे तीन बार अस्‍वीकार करोगे,” और वह बाहर निकल कर फूट-फूट कर रोने लगा।

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