वे ‘खोपड़ी’ नामक स्थान पर पहुँचे। वहाँ उन्होंने येशु को और उन दो कुकर्मियों को भी क्रूस पर चढ़ाया−एक को उनकी दायीं ओर और दूसरे को उनकी बायीं ओर। [येशु ने कहा, “पिता! इन्हें क्षमा कर, क्योंकि ये नहीं जानते कि क्या कर रहे हैं।”] तब उन्होंने चििट्ठयाँ डाल कर येशु के वस्त्र आपस में बाँट लिये।
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