‘भूमि की उपज का दशमांश, चाहे वह भूमि का बीज हो, अथवा वृक्ष का फल, मुझ-प्रभु का ही है। वह मुझ-प्रभु के लिए पवित्र है। यदि कोई मनुष्य अपने किसी दशमांश को मूल्य देकर मुक्त करना चाहेगा, तो वह मूल्य का पांचवां भाग उसमें जोड़कर उसको छुड़ा लेगा। भेड़-बकरी, गाय-बैल का दशमांश, चरवाहे की लाठी की गणना के अनुसार प्रत्येक दसवां पशु मुझ-प्रभु के लिए पवित्र है। उनके अच्छे-बुरे की जांच नहीं की जाएगी और न ही उनकी अदला-बदली की जाएगी। यदि कोई उसको बदलेगा तो वह पशु तथा जिसके साथ उसको बदला गया है, दोनों पवित्र माने जाएंगे। यह दसवां पशु मूल्य देकर मुक्त नहीं किया जाएगा।’
लेवीय व्यवस्था 27 पढ़िए
सुनें - लेवीय व्यवस्था 27
साझा करें
सभी संस्करणों की तुलना करें: लेवीय व्यवस्था 27:30-33
छंद सहेजें, ऑफ़लाइन पढ़ें, शिक्षण क्लिप देखें, और बहुत कुछ!
होम
बाइबिल
योजनाएँ
वीडियो