लेवीय व्‍यवस्‍था 27:30-33

लेवीय व्‍यवस्‍था 27:30-33 HINCLBSI

‘भूमि की उपज का दशमांश, चाहे वह भूमि का बीज हो, अथवा वृक्ष का फल, मुझ-प्रभु का ही है। वह मुझ-प्रभु के लिए पवित्र है। यदि कोई मनुष्‍य अपने किसी दशमांश को मूल्‍य देकर मुक्‍त करना चाहेगा, तो वह मूल्‍य का पांचवां भाग उसमें जोड़कर उसको छुड़ा लेगा। भेड़-बकरी, गाय-बैल का दशमांश, चरवाहे की लाठी की गणना के अनुसार प्रत्‍येक दसवां पशु मुझ-प्रभु के लिए पवित्र है। उनके अच्‍छे-बुरे की जांच नहीं की जाएगी और न ही उनकी अदला-बदली की जाएगी। यदि कोई उसको बदलेगा तो वह पशु तथा जिसके साथ उसको बदला गया है, दोनों पवित्र माने जाएंगे। यह दसवां पशु मूल्‍य देकर मुक्‍त नहीं किया जाएगा।’