प्रभु मूसा और हारून से बोला, ‘जब किसी मनुष्य के शरीर की त्वचा पर सूजन, अथवा पपड़ी या दाग हो, उसकी त्वचा पर कुष्ठ-रोग के सदृश लक्षण दिखाई दें तो वह पुरोहित हारून अथवा उसके पुरोहित पुत्रों में किसी एक के पास लाया जाएगा। पुरोहित उसकी त्वचा के रोगग्रस्त भाग की जांच करेगा। यदि रोगग्रस्त भाग के रोएं सफेद हो गए हैं और रोग त्वचा के भीतर गहरा दिखाई देता है तो यह कुष्ठ-जैसा चर्म-रोग होगा। जब पुरोहित जांच कर चुकेगा तब उसे अशुद्ध घोषित करेगा। यदि उसके शरीर की त्वचा का दाग सफेद है और त्वचा के भीतर गहरा नहीं दिखाई देता है, तथा उस भाग के रोएं सफेद नहीं हुए हैं तो पुरोहित रोगग्रस्त व्यक्ति को सात दिन तक बन्द रखेगा। पुरोहित सातवें दिन उसकी जांच करेगा। यदि उसकी दृष्टि में रोग ज्यों का त्यों है, त्वचा पर नहीं फैला है तो पुरोहित उसको सात दिन तक और बन्द रखेगा। पुरोहित सातवें दिन उसकी पुन: जांच करेगा। यदि रोगग्रस्त भाग हलका पड़ गया है, और वह त्वचा पर नहीं फैला है तो पुरोहित उसे शुद्ध घोषित करेगा। यह केवल पपड़ी है। वह मनुष्य अपने वस्त्र धोकर शुद्ध हो जाएगा। परन्तु पुरोहित की शुद्धि-घोषणा के हेतु जांच कराने के पश्चात् यदि पपड़ी त्वचा पर सर्वत्र फैल जाती है तो वह व्यक्ति पुरोहित के पास दूसरी बार उपस्थित होगा। पुरोहित जांच करेगा। यदि पपड़ी त्वचा पर फैल गई है तो पुरोहित उसको अशुद्ध घोषित करेगा। वह कुष्ठ जैसा चर्म-रोग है।
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