लेवीय व्यवस्था 11
11
शुद्ध और अशुद्ध पशु
1प्रभु मूसा और हारून से बोला, 2‘इस्राएली समाज से कहो : तुम पृथ्वी के समस्त जीवित पशुओं में से इन पशुओं को खा सकते हो।#व्य 14:3-21#उत 9:3; मत 15:11; मक 7:19; प्रे 10:12; रोम 14:2; 1 कुर 8:8; कुल 2:16 3पशुओं में से सब चिरे और फटे खुरवाले तथा पागुर करने वाले पशुओं को तुम खा सकते हो। 4फिर भी तुम पागुर करने वाले अथवा फटे खुरवाले पशुओं में से इन पशुओं को नहीं खाना। ऊंट : वह पागुर तो करता है परन्तु उसके खुर चिरे हुए नहीं होते। अत: वह तुम्हारे लिए अशुद्ध है। 5चट्टानी बिज्जू : वह पागुर तो करता है, परन्तु उसके खुर चिरे हुए नहीं होते। अत: वह तुम्हारे लिए अशुद्ध है। 6खरगोश : वह पागुर तो करता है, परन्तु उसके खुर चिरे हुए नहीं होते। अत: वह तुम्हारे लिए अशुद्ध है। 7सूअर : वह चिरे अथवा फटे खुरवाला पशु तो है, परन्तु वह पागुर नहीं करता। अत: वह तुम्हारे लिए अशुद्ध है। 8तुम इनके माँस को नहीं खाना। इनकी लोथ को स्पर्श भी मत करना। ये तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं।
9‘तुम जल-जन्तुओं में से इन जल-जन्तुओं को खा सकते हो : प्रत्येक पंखवाला और चोईवाला जल-जन्तु चाहे वह समुद्र में हो, अथवा नदी में, तुम खा सकते हो। 10परन्तु झुण्ड-के-झुण्ड रहने वाले जल-जन्तुओं तथा अन्य जलचर प्राणियों में बिना पंख और चोईवाले जीव-जन्तु जो समुद्र तथा नदियों में हैं, वे तुम्हारे लिए अखाद्य#11:10 अक्षरश: ‘घृणित’। हैं। 11वे तुम्हारे लिए अखाद्य ही रहेंगे। तुम उनका माँस नहीं खाना और उनकी लोथ से घृणा करना। 12बिना पंख और चोईवाला प्रत्येक जल-जन्तु तुम्हारे लिए अखाद्य है।
13‘तुम इन पक्षियों को अखाद्य मानना : इनको मत खाना। ये तुम्हारे लिए अखाद्य ही हैं : गरुड़, हड़फोड़, कुरर, 14चील, सब प्रकार के बाज, 15सब प्रकार के कौए, 16शुतुरमुर्ग, रात-शिकरा, जल-कुक्कुट, सब प्रकार के शिकरे, 17उल्लू, जलकौवा, बुज्जा, 18जलमुर्गी, जलसिंह, गिद्ध, 19लगलग, सब प्रकार के बगुले, हुदहुद और चमगादड़।
20‘सब पंखवाले और चार पैरों पर चलने वाले कीड़े तुम्हारे लिए अखाद्य हैं। 21फिर भी पंखवाले और चार पैरों पर चलनेवाले कीड़ों में से उनको खा सकते हो, जिनके पैरों के ऊपर ऐसी मुड़ी हुई जांघ होती है, जिसके बल पर वे भूमि पर कूदते हैं। 22तुम उनमें से इनको खा सकते हो : सब प्रकार की टिड्डियाँ, सब प्रकार के पतंगे, सब प्रकार के झींगुर और सब प्रकार के टिड्डे। 23किन्तु वे सब पंखवाले कीड़े जिनके चार पैर हैं, तुम्हारे लिए अखाद्य हैं।
24‘इन पशुओं के कारण तुम अशुद्ध होगे। इनकी लोथ का स्पर्श करने वाला व्यक्ति सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। 25इनकी लोथ को ले जाने वाला व्यक्ति अपने वस्त्र धोएगा और वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा : 26वे सब पशु जो चिरे हुए खुर के हैं, पर जिनके खुर पूर्णत: फटे हुए नहीं हैं, और जो पागुर नहीं करते, तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं। उनका स्पर्श करने वाला व्यक्ति अशुद्ध हो जाएगा। 27चार पैरों पर चलने वाले सब पशुओं में से पंजों पर चलने-वाले पशु तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं। उनकी लोथ का स्पर्श करने वाला व्यक्ति सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। 28उनकी लोथ को ले जानेवाला व्यक्ति अपने वस्त्र धोएगा और वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। वे तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं।
29‘भूमि पर रेंगने वाले जन्तुओं में से ये जन्तु तुम्हारे लिए अशुद्ध हैं : नेवला, चूहा, सब प्रकार की गोह, 30छिपकली, मगर, टिकटिक, साण्डा और गिरगिट। 31ये तुम्हारे लिए सब रेंगने वाले जन्तुओं में अशुद्ध हैं। इनकी लोथ का स्पर्श करने वाला व्यक्ति सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। 32वे सब वस्तुएँ जिन पर इनकी लोथ गिरेगी, अशुद्ध हो जाएँगी, चाहे वे लकड़ी, वस्त्र, चमड़ा, या टाट की हों, अथवा किसी भी कार्य में प्रयुक्त होने वाला कोई भी पात्र; उसको जल में डाला जाएगा, और वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा, तत्पश्चात् वह शुद्ध हो जाएगा। 33मिट्टी के जिस पात्र में इन जन्तुओं में से किसी की लोथ गिर पड़ी है, उसके भीतर की वस्तु अशुद्ध हो जाएगी। तुम उस पात्र को तोड़ देना। 34उसके समस्त खाद्य पदार्थ, जिनमें जल प्रयुक्त किया जाता है, अशुद्ध हो जाएँगे। ये सब पेय पदार्थ, जो ऐसे पात्र में पीए जाते हैं, अशुद्ध हो जाएँगे। 35यदि किसी वस्तु पर इनकी लोथ का कुछ भी भाग गिर पड़े तो वह अशुद्ध हो जाएगी; चाहे वह तन्दूर हो तथा चूल्हा हो, उसे तोड़ा जाएगा। वे अशुद्ध हैं, और तुम्हारे लिए भी अशुद्ध होंगे। 36फिर भी झरना तथा कुआँ, जहाँ जल संचित रहता है शुद्ध माने जाएँगे; किन्तु इन जन्तुओं की लोथ का स्पर्श करने वाली वस्तु अशुद्ध हो जाएगी। 37यदि इन जन्तुओं की लोथ का कुछ भाग बोए जाने वाले बीज पर गिर पड़े तो वह बीज शुद्ध माना जाएगा। 38परन्तु यदि बीज पर जल डाला गया है और उस पर इसकी लोथ का कुछ भाग गिर पड़ता है तो वह तुम्हारे लिए अशुद्ध होगा।
39‘जिन पशुओं को तुम खा सकते हो, उनमें से यदि कोई पशु मर जाता है तो उसकी लोथ का स्पर्श करने वाला व्यक्ति सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। 40उसकी लोथ को खानेवाला व्यक्ति अपने वस्त्र धोएगा और वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा। उसकी लोथ को ले जाने वाला व्यक्ति भी अपने वस्त्र धोएगा और वह सन्ध्या तक अशुद्ध रहेगा।
41‘भूमि पर रेंगनेवाले सब जीव-जन्तु अखाद्य हैं, वे नहीं खाए जाएँगे। 42सब जीव-जन्तुओं को जो पेट के बल चलते हैं, अथवा जो चार पैर पर चलते हैं, जिनके अनेक पैर हैं−भूमि पर रेंगने वाले सब जीव-जन्तुओं को मत खाना; क्योंकि वे अखाद्य जन्तु हैं। 43तुम अपने को रेंगनेवाले जीव-जन्तुओं के द्वारा घृणित न बनाना। उनके द्वारा स्वयं को अशुद्ध नहीं करना, ऐसा न हो कि तुम अपवित्र हो जाओ। 44मैं प्रभु तुम्हारा परमेश्वर हूँ, इसलिए अपने आपको पवित्र बनाओ, और पवित्र बने रहो, क्योंकि मैं पवित्र हूँ। तुम भूमि पर रेंगनेवाले जीव-जन्तुओं के द्वारा अपने आपको अशुद्ध मत करना।#लेव 19:2; मत 5:48; 1 पत 1:15-16; 1 यो 3:3 45तुम्हारा परमेश्वर होने के लिए, तुम्हें मिस्र देश से बाहर निकालकर लानेवाला, मैं प्रभु हूँ। मैं पवित्र हूँ, इसलिए तुम भी पवित्र बनोगे।’
46यह पशुओं, पक्षियों, जीवित जलचरों एवं भूमि पर रेंगनेवाले प्राणियों के सम्बन्ध में व्यवस्था है कि 47अशुद्ध और शुद्ध के मध्य, भक्ष्य और अभक्ष्य जीवित प्राणियों के मध्य, भेद किया जाए।
वर्तमान में चयनित:
लेवीय व्यवस्था 11: HINCLBSI
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