प्रभु का यह सन्देश है :
‘अब भी तुम पूर्ण हृदय से उपवास करते,
शोक मनाते और रोते हुए मेरे पास लौटो।
पश्चात्ताप करने के लिए
अपने वस्त्र नहीं,
वरन् अपना हृदय विदीर्ण करो।’
ओ यहूदा देश,
अपने प्रभु परमेश्वर की ओर लौट।
वह कृपालु और दयालु है।
वह विलम्ब क्रोधी और महा करुणा सागर
है। वह दु:ख देकर पछताता है।
कौन जानता है, प्रभु लौटे और पछताए,
और अपने पीछे आशिष छोड़ जाए?
तब तुम अपने प्रभु परमेश्वर को
अन्नबलि और पेयबलि चढ़ा सकोगे।
सियोन पर्वत पर नरसिंगा फूंको।
उपवास का दिन घोषित करो।
धर्म महासभा की बैठक बुलाओ।
लोगों को एकत्र करो!
आराधकों की मंडली को शुद्ध करो।
धर्मवृद्धों को एकत्र करो।
बच्चों को, दूध पीते शिशुओं को एकत्र करो।
नववधू अपनी सेज छोड़कर,
वर अपने कमरे से निकल कर आए।
मन्दिर के आंगन और वेदी के मध्य
खड़े होकर, रोते हुए प्रभु के सेवक,
पुरोहित यह कहें :
‘हे प्रभु, अपने निज लोगों पर दया कर।
अपनी मीरास को बदनाम मत कर।
वे अन्य राष्ट्रों में कहावत न बनें।
अन्य राष्ट्रों के लोग यह क्यों कहें,
“कहां है उनका ईश्वर?” ’
तब प्रभु का अपने देश के प्रति प्रेम जागा,
उसने अपने लोगों पर दया की।
प्रभु ने उनकी प्रार्थना का उत्तर दिया।
उसने कहा, ‘देखो, मैं
अन्न, अंगूर-रस और जैतून का तेल
तुम्हें भेज रहा हूं।
तुम उन्हें खा-पीकर तृप्त होंगे।
मैं तुम्हें अन्य राष्ट्रों में और अधिक
बदनाम न होने दूंगा।
‘मैं उत्तर दिशा से आई हुई सेना को
तुम्हारे पास से हटा दूंगा;
उसे शुष्क और निर्जन प्रदेश में भगा दूंगा।
उसके अग्र दस्ते को मृत सागर में,
और पश्च दस्ते को भूमध्यसागर में डुबा दूंगा।
उससे दुर्गन्ध और सड़ायंध उठेगी;
क्योंकि मैं-प्रभु ने महाकार्य किए हैं।
‘ओ भूमि, मत डर, प्रसन्न हो, आनन्द मना,
क्योंकि मैं-प्रभु ने महाकार्य किए हैं।
ओ मैदान के पशुओ, मत डरो,
क्योंकि निर्जन प्रदेश के चरागाह
हरे-भरे हो गए हैं।
पेड़ में फल लगने लगे हैं।
अंजीर के वृक्ष और अंगूर की लता में
भरपूर फसल होने लगी है।
‘ओ सियोन के निवासियो, प्रसन्न हो;
अपने प्रभु परमेश्वर में आनन्द मनाओ।
मैंने धार्मिकता के लिए तुम्हें एक गुरु प्रदान किया है।
फिर, मैंने तुम्हारे लिए अपार वर्षा की है।
पहले के समान
मैंने शरदकालीन और वसंतकालीन वर्षा की है।
खलियान अन्न से भर जाएंगे,
तेल और अंगूर-रस से मटके लबालब हो जाएंगे।
मेरी विशाल टिड्डी-सेना ने,
जो मैंने तुम्हारे मध्य भेजी थी,
उड़नेवाली, फुदकनेवाली, छीलनेवाली और
कुतरनेवाली टिड्डियों ने
जितनी फसल खाई थी, उसका दुगुना मैं तुम्हें दूंगा।
तुम पेट-भर खाओगे, और सन्तुष्ट होगे।
तुम अपने प्रभु परमेश्वर के नाम की स्तुति
करोगे, जिसने तुम्हारे साथ अद्भुत व्यवहार
किया है।
मेरे निज लोग फिर कभी लज्जित न होंगे।
तब तुम्हें अनुभव होगा कि मैं ही इस्राएल के
मध्य में उपस्थित हूं।
तुम जानोगे कि मैं ही तुम्हारा प्रभु परमेश्वर हूं।
मेरे अतिरिक्त और कोई ईश्वर नहीं है।
मेरे निज लोग फिर कभी लज्जित नहीं होंगे।