योएल 1
1
देश पर टिड्डियों का प्रकोप
1प्रभु का यह संदेश योएल बेन-पतूएल#1:1 अथवा, ‘पतूएल का पुत्र’ को
मिला :
2‘ओ वृद्धो, सुनो!
ओ देशवासियो, तुम सब ध्यान से सुनो!
क्या तुम्हारे जीवन-काल में
अथवा तुम्हारे पूर्वजों के जीवन-काल में
ऐसी विपत्ति कभी आयी थी?
3तुम अपनी सन्तान से इसकी चर्चा करो;
और तुम्हारी सन्तान अपनी सन्तान से,
और वे आगामी पीढ़ी से
इस विपत्ति का वर्णन करें।
4जो कुतरनेवाली#1:4 मूल में विभिन्न प्रकार की टिड्डियों के नाम क्रमश: ‘गाजाम’ टिड्डी से बचा
उसको उड़नेवाली#1:4 ‘अर्बे’ टिड्डी ने खा लिया।
जो उड़नेवाली टिड्डी से बचा
उसे फुदकनेवाली#1:4 मूल में ‘येलेक’ टिड्डी खा गई।
जो फुदकनेवाली टिड्डी से बचा
उसको छीलनेवाली#1:4 ‘हासिल’। टिड्डी ने खा लिया।#व्य 28:38
5ओ शराबियो, जागो, और रोओ!
ओ शराब पीनेवालो,
अंगूर-रस के लिए विलाप करो।
वह तुम्हारे मुंह से छिन गया।#यश 5:11; 32:10
6एक राष्ट्र ने मेरे देश पर आक्रमण किया है,
वह शक्तिशाली है,
उसके पास असंख्य सेना है।
उसके सिंह के समान दांत,
और सिंहनी के समान दाढ़ हैं।#प्रक 9:8
7उसने मेरे अंगूर-उद्यान को उजाड़ दिया,
उसने मेरे अंजीर के वृक्ष काट दिए।
उसने उनकी छालें छील-छीलकर गिरा दीं,
उनकी शाखाएँ सफेद हो गईं। #यश 5:6
8विधवा कन्या, जिसका गौना नहीं हुआ,
कमर में टाट-वस्त्र पहिनकर
जैसे अपने युवा पति के लिए रोती है,
वैसे तुम भी रोओ।
9प्रभु के भवन में
अब अन्नबलि और पेयबलि
अर्पित नहीं की जातीं।
प्रभु के सेवक, पुरोहित भी शोक मना रहे हैं।
10खेत उजड़ गए, भूमि रो रही है।
अन्न नष्ट हो गया,
अंगूर की नई फसल बर्बाद हो गई।
अंजीर का तेल सूख गया।
11ओ किसानो,
गेहूं और जौ की फसल के लिए,
तुम व्याकुल हो,
ओ अंगूर-उद्यान के मालियो, तुम विलाप
करो,खेतों की फसल नष्ट हो गई।
12अंगूर-उद्यान सूख गए।
अंजीर के वृक्ष मुरझा गए।
अनार, खजूर, सेब, मैदान के सब वृक्ष
सूख गए।
लोगों के चेहरों पर मुर्दनी छा गई।
13ओ पुरोहितो, पश्चात्ताप के लिए,
टाट-वस्त्र पहिनो, और रोओ।
ओ प्रभु-वेदी के सेवको, विलाप करो।
ओ मेरे परमेश्वर के सेवको,
पवित्र स्थान में जाओ,
और रात-भर पश्चात्ताप के लिए
टाट-वस्त्र पहिने रहो,
क्योंकि विपत्ति के कारण अब आराधक
तुम्हारे परमेश्वर के भवन में
अन्नबलि और पेयबलि नहीं चढ़ाते।
14उपवास का दिन घोषित करो,
धर्म-महासभा की बैठक बुलाओ।
प्रभु परमेश्वर के भवन में
धर्मवृद्धों और देशवासियों को एकत्र करो।
सब प्रभु की दुहाई दें।
15हाय! हाय! विशेष दिन,
प्रभु का दिन समीप आ गया।
सर्वशक्तिमान परमेश्वर की ओर से
मानो महाविनाश का दिन आ गया।#यश 13:6
16क्या हमारी आंखों के सामने से
भोजन की थाली नहीं हटाई गई?
क्या हमारे परमेश्वर के भवन से
हर्षोल्लास और आनन्द विदा नहीं हो गया?
17मिट्टी के ढेलों के नीचे बीज झुलस गए।
खलियान उजड़ गए,
भण्डार-गृह खाली पड़ गए,
क्योंकि फसल बर्बाद हो गई।
18पशु कैसे कराह रहे हैं,
रेवड़ के पशु विकल हैं,
क्योंकि उनके लिए चरागाह नहीं हैं।
भेड़-बकरियाँ भी विपत्ति का शिकार हो गईं।
19हे प्रभु, मैं तेरी दुहाई देता हूं।
आग ने निर्जन प्रदेश के चरागाहों को भस्म
कर दिया है।
अग्नि-ज्वाला ने मैदान के वृक्षों को जला
डाला है।
20मैदान के पशु भी तेरी ओर ताक रहे हैं;
क्योंकि जल-स्रोत सूख गए,
निर्जन प्रदेश के चरागाहों को आग ने भस्म
कर दिया।
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