जब येशु ने यह देखा कि लोग आ कर उन्हें राजा बनाने के लिए पकड़ना चाहते हैं, तो वह अकेले ही पहाड़ी पर फिर चले गये। सन्ध्या हो जाने पर शिष्य झील के तट पर आए। वे नाव पर सवार हो कर कफरनहूम नगर की ओर झील पार कर रहे थे। रात हो चली थी और येशु अब तक उनके पास नहीं आए थे। इस बीच झील में लहरें उठने लगीं, क्योंकि हवा जोरों से बह रही थी। लगभग पाँच-छ: किलो मीटर तक नाव खेने के बाद शिष्यों ने देखा कि येशु झील पर चलते हुए, नाव के समीप आ रहे हैं। वे डर गये, किन्तु येशु ने उन से कहा, “मैं हूँ। डरो मत।” वे उन्हें नाव में चढ़ाना चाहते ही थे कि नाव तुरन्त उस किनारे, जहाँ वे जा रहे थे, लग गयी।
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