योहन 5:24-30

योहन 5:24-30 HINCLBSI

“मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : जो मेरा वचन सुनता और जिसने मुझे भेजा, उस में विश्‍वास करता है, उसे शाश्‍वत जीवन प्राप्‍त है। वह दोषी नहीं ठहराया जाएगा। वह तो मृत्‍यु को पार कर जीवन में प्रवेश कर चुका है। “मैं तुम से सच-सच कहता हूँ : वह समय आ रहा है, वरन् आ ही गया है, जब मृतक परमेश्‍वर के पुत्र की वाणी सुनेंगे, और जो सुनेंगे, उन्‍हें जीवन प्राप्‍त होगा, क्‍योंकि जिस तरह पिता स्‍वयं में जीवन धारण किए हुए है, उसी तरह उसने पुत्र को भी स्‍वयं में जीवन धारण करने का अधिकार दिया है; और उसे मानव-पुत्र होने के कारण न्‍याय करने का भी अधिकार दिया है। “इस पर आश्‍चर्य न करो। वह समय आ रहा है, जब वे सब, जो कबरों में हैं, उसकी वाणी सुन कर बाहर निकल आएँगे। सत्‍कर्म करने वालों का जीवन के लिए पुनरुत्‍थान होगा और कुकर्म करने वालों का दण्‍ड के लिए। मैं स्‍वयं से कुछ भी नहीं कर सकता। मैं जो सुनता हूँ, उसी के अनुसार न्‍याय करता हूँ और मेरा निर्णय न्‍यायसंगत होता है; क्‍योंकि मैं अपनी इच्‍छा नहीं, बल्‍कि जिसने मुझे भेजा, उसकी इच्‍छा पूरी करना चाहता हूँ।