एक सामरी स्त्री पानी भरने आयी। येशु ने उससे कहा, “मुझे पानी पिलाओ।” क्योंकि उनके शिष्य नगर में भोजन खरीदने गये थे। यहूदी लोग सामरियों से कोई सम्बन्ध नहीं रखते। इसलिए सामरी स्त्री ने येशु से कहा, “यह क्या कि आप यहूदी हो कर भी मुझ सामरी स्त्री से पीने के लिए पानी माँग रहे हैं?”
येशु ने उत्तर दिया, “यदि तुम परमेश्वर का वरदान पहचानती और यह जानती कि वह कौन है, जो तुम से कह रहा है, ‘मुझे पानी पिलाओ’, तो तुम उससे माँगती और वह तुम्हें संजीवन जल देता।” स्त्री ने उनसे कहा, “महोदय! पानी खींचने के लिए आपके पास कुछ भी नहीं है और कुआँ गहरा है; तो आप को यह संजीवन जल कहाँ से मिलेगा? क्या आप हमारे पिता याकूब से भी महान् हैं? उन्होंने हमें यह कुआँ दिया। वह स्वयं, उनके पुत्र और उनके पशु भी इस कुएँ से पानी पीते थे।” येशु ने कहा, “जो यह पानी पीता है, उसे फिर प्यास लगेगी, किन्तु जो मेरा दिया हुआ जल पीता है, उसे फिर कभी प्यास नहीं लगेगी। जो जल मैं उसे प्रदान करूँगा, वह उस में जल-स्रोत बन जाएगा, जो शाश्वत जीवन तक उमड़ता रहेगा।” इस पर स्त्री ने कहा, “महोदय! मुझे वह जल दीजिए, जिससे मुझे फिर प्यास न लगे और मुझे यहाँ पानी भरने के लिए नहीं आना पड़े।”
येशु ने उस से कहा, “जाओ, अपने पति को यहाँ बुला लाओ।” स्त्री ने उत्तर दिया, “मेरा कोई पति नहीं है।” येशु ने उससे कहा, “तुम ने ठीक ही कहा कि मेरा कोई पति नहीं है। तुम्हारे पाँच पति रह चुके हैं और जिसके साथ तुम अभी रहती हो, वह तुम्हारा पति नहीं है। यह तुम ने ठीक ही कहा।”
स्त्री ने उन से कहा, “महोदय! मैं समझ गयी। आप कोई नबी हैं। हमारे पूर्वज इस पहाड़ पर आराधना करते थे और आप यहूदी लोग कहते हैं कि यरूशलेम ही वह स्थान है जहाँ आराधना करना चाहिए।” येशु ने उससे कहा, “महिला! मेरा विश्वास करो। वह समय आ रहा है, जब तुम लोग न तो इस पहाड़ पर पिता की आराधना करोगे और न यरूशलेम में। तुम जिसकी आराधना करते हो, उसे नहीं जानते। हम जिसकी आराधना करते हैं, उसे जानते हैं, क्योंकि उद्धार यहूदियों में से है। परन्तु वह समय आ रहा है, वरन् आ ही गया है, जब सच्चे आराधक आत्मा और सत्य में पिता की आराधना करेंगे। पिता ऐसे ही आराधकों को चाहता है। परमेश्वर आत्मा है और यह आवश्यक है कि उसके आराधक आत्मा और सत्य में उसकी आराधना करें।”