“तुम्हारे साथ रहते हुए मैंने तुम से ये बातें कही हैं। परन्तु ‘सहायक’, अर्थात् पवित्र आत्मा, जिसे पिता मेरे नाम पर भेजेगा, तुम्हें सब कुछ सिखाएगा। जो कुछ मैंने तुम से कहा है, वह उसका स्मरण तुम्हें कराएगा। “शान्ति मैं तुम को दिए जाता हूँ। अपनी शान्ति मैं तुम्हें प्रदान करता हूँ− जैसे संसार देता वैसे मैं तुम्हें नहीं देता। तुम्हारा मन व्याकुल और भयभीत न हो। तुमने मुझ को यह कहते सुना, ‘मैं जा रहा हूँ और फिर तुम्हारे पास आऊंगा।’ यदि तुम मुझ से प्रेम करते, तो आनन्दित होते कि मैं पिता के पास जा रहा हूँ, क्योंकि पिता मुझ से महान् है। अभी, यह होने से पहले, मैंने तुम को बता दिया, जिससे जब यह हो तब तुम विश्वास करो। “अब मैं तुम से और अधिक बातें नहीं करूँगा, क्योंकि इस संसार का अधिपति आ रहा है। वह मेरा कुछ नहीं कर सकता, किन्तु यह आवश्यक है कि संसार जान जाए कि मैं पिता से प्रेम करता हूँ और पिता ने मुझे जैसा आदेश दिया, मैं वैसा ही करता हूँ। उठो! हम यहाँ से चलें।
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