योहन 14:1-11

योहन 14:1-11 HINCLBSI

“तुम्‍हारा मन व्‍याकुल न हो। परमेश्‍वर में विश्‍वास करो और मुझ में भी विश्‍वास करो! मेरे पिता के यहाँ बहुत निवास-स्‍थान हैं। यदि ऐसा नहीं होता, तो मैं तुम्‍हें बता देता; क्‍योंकि मैं तुम्‍हारे लिए स्‍थान का प्रबन्‍ध करने जा रहा हूँ। यदि मैं जा कर तुम्‍हारे लिए स्‍थान का प्रबन्‍ध करूँ, तो मैं फिर आऊंगा और तुम्‍हें अपने यहाँ ले जाऊंगा, जिससे जहाँ मैं हूँ, वहाँ तुम भी रहो। मैं जहाँ जा रहा हूँ, तुम वहाँ का मार्ग जानते हो।” थोमस ने येशु से कहा, “प्रभु! हम यह भी नहीं जानते कि आप कहाँ जा रहे हैं, तो वहाँ का मार्ग कैसे जान सकते हैं?” येशु ने कहा, “मार्ग, सत्‍य और जीवन मैं हूँ। मुझ से हो कर गये बिना कोई पिता के पास नहीं आ सकता। “यदि तुम मुझे जानते, तो मेरे पिता को भी जानते। अब से तुम उसे जानते हो, और तुम ने उसको देखा भी है।” फिलिप ने उन से कहा, “प्रभु! हमें पिता के दर्शन कराइए। हमारे लिए इतना ही बहुत है।” येशु ने कहा, “फिलिप! मैं इतने समय तक तुम लोगों के साथ रहा, फिर भी तुम ने मुझे नहीं जाना? जिसने मुझे देखा है, उसने पिता को भी देखा है। फिर तुम यह क्‍या कहते हो : ‘हमें पिता के दर्शन कराइए’? क्‍या तुम विश्‍वास नहीं करते कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है? मैं जो शिक्षा तुम्‍हें देता हूँ, वह मेरी अपनी शिक्षा नहीं है। मुझ में निवास करने वाला पिता अपने कार्य सम्‍पन्न कर रहा है। मेरी इस बात पर विश्‍वास करो कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है, नहीं तो उन कार्यों के कारण ही विश्‍वास करो।