प्रभु का आत्मा मुझ पर है; क्योंकि उसने पीड़ित व्यक्तियों को शुभ-सन्देश सुनाने के लिए मेरा अभिषेक किया है; स्वामी प्रभु ने मुझे इस कार्य के लिए भेजा है कि मैं घायल हृदयवालों को स्वस्थ करूं, बन्दियों को स्वतंत्रता का सन्देश सुनाऊं, और जो कारागार में हैं उनके लिए कारागार के द्वार खोल दूं। उसने मुझे भेजा है कि मैं ‘प्रभु की कृपा का वर्ष’, और ‘हमारे परमेश्वर का प्रतिशोध दिवस’ घोषित करूं, और जो शोक करते हैं, उन्हें शान्ति प्रदान करूं। प्रभु ने मुझे इसलिए भेजा है कि मैं सियोन में शोक करनेवालों को राख नहीं, वरन् विजय-माला पहनाऊं; विलाप नहीं, बल्कि उनके मुख पर आनन्द का तेल मलूं, उन्हें निराशा की आत्मा नहीं, वरन् स्तुति की चादर ओढ़ाऊं, ताकि वे धार्मिकता के बांज वृक्ष कहलाएँ; वे प्रभु के पौधे कहलाएँ और उनसे प्रभु की महिमा हो।
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