यशायाह 54

54
इस्राएल के प्रति प्रभु का शाश्‍वत प्रेम
1ओ यरूशलेम नगरी! तू बांझ है;
तू निस्‍सन्‍तान है!
तूने प्रसव-पीड़ा नहीं भोगी;
पर अब तू उमंग में, उच्‍च स्‍वर में गीत गा।
क्‍योंकि प्रभु यह कहता है :
परित्‍यक्‍त स्‍त्री को सुहागिन स्‍त्री से अधिक
सन्‍तान होगी।#गल 4:27; 1 शम 2:5
2अपने तम्‍बू का स्‍थान चौड़ा कर,
अपने शिविर की कनातें लम्‍बी कर;
हाथ मर रोक;
अपनी रस्‍सियों को लम्‍बा
और खूटों को मजबूत कर।
3क्‍योंकि अब तू दाएं-बाएँ फैलेगी,
तेरे वंशज राष्‍ट्रों पर अधिकार करेंगे,
वे उजाड़ नगरों को आबाद करेंगे।
4मत डर; क्‍योंकि अब तू लज्‍जित न होगी।
मत घबरा; क्‍योंकि अब तू अपमानित न होगी।
जो अपमान तूने जवानी में सहा था,
उसे तू भूल जाएगी।
अपने विधवापन का कलंक
तुझे याद न रहेगा।
5क्‍योंकि तुझे ‘बनानेवाला’ ही तेरा पति है;
उसका नाम है − ‘स्‍वर्गिक सेनाओं का प्रभु’।
इस्राएल का पवित्र परमेश्‍वर
तेरा मुक्‍तिदाता है।
वह सम्‍पूर्ण पृथ्‍वी का परमेश्‍वर कहलाता है।#हो 2:19
6प्रभु ने तुझे ऐसे बुलाया है,
जैसे त्‍यागी हुई और दु:खी मन वाली स्‍त्री को
पुन: बुलाया जाता है।
क्‍या कोई युवावस्‍था की पत्‍नी को भुला
सकता है?
तेरा परमेश्‍वर यह कहता है:
7‘केवल कुछ पल के लिए
मैंने तुझे त्‍याग दिया था;
पर अब मैं तुझ पर अपार दया कर
तुझे एकत्र करूंगा।
8क्रोध के आवेश में मैं ने क्षण भर के लिए
तुझ से अपना मुंह छिपा लिया था;
पर अब मैं तेरे प्रति
शाश्‍वत, करुणापूर्ण दया करूंगा।’
तेरा मुक्‍तिदाता प्रभु यह कहता है।#यिर 31:3
9‘मेरे लिए यह वैसा है जैसा नूह के समय में था:
मैंने शपथ ली थी
कि जल-प्रलय से पृथ्‍वी पुन: न डूबेगी।
वैसी ही शपथ अब मैं पुन: ले रहा हूं :
मैं तुझसे नाराज न होऊंगा,
मैं तुझे फिर न डांटूंगा।#उत 9:8-17
10चाहे पहाड़ अपने स्‍थान से टल जाएं,
चाहे पहाड़ियाँ अपने स्‍थान से हिल जाएं,
किन्‍तु तुझ पर से मेरी करुणा नहीं हटेगी,
मेरा शान्‍ति-विधान नहीं टलेगा।’
तुझ पर दया करनेवाला प्रभु यह कहता है।#प्रक 21:18-21; यहूदी 16:15
नयी यरूशलेम नगरी
11‘ओ दुखियारी, तूफान की झकझोरी,
तुझको शान्‍ति नहीं मिली।
ओ यरूशलेम नगरी!
अब मैं तेरे पत्‍थरों की पच्‍चीकारी करूंगा,
और उन्‍हें अच्‍छे ढंग से लगाऊंगा;
मैं तेरी नींव में नीलमणि डालूंगा।#तोब 13:16-17
12मैं तेरे कलश#54:12 अथवा ‘कंगूरे’ मणिकों से
तेरे प्रवेश-द्वार लालड़ियों से
और परकोटे बहुमूल्‍य रत्‍नों से बनाऊंगा।
13स्‍वयं मैं-प्रभु तेरी संतान को शिक्षा दूंगा;
और तेरी संतान अत्‍यन्‍त समृद्ध होगी।#यो 6:45; यिर 31:33-34
14तू धर्म की नींव पर स्‍थिर होगी,
तू नहीं डरेगी;
अत्‍याचार से तू बची रहेगी;
आतंक तेरे पास फटकेगा भी नहीं।
15यदि तुझ पर आक्रमण होगा,
तो यह मेरी ओर से नहीं होगा;
जो शत्रु तुझसे लड़ेगा,
वह तुझ से पराजित होगा।
16देख, लोहार को,
जो कोयले की आग धधकाता है,
और युद्ध के लिए हथियार बनाता है;
उसको मैंने ही सृजा है।
मैंने विनाश के लिए
विध्‍वंसक की भी सृष्‍टि की है।
17तेरे विरुद्ध बनाया गया
कोई भी शस्‍त्र सफल न होगा;
जो साक्षी न्‍यायालय में तेरे विरुद्ध प्रस्‍तुत
होगी,
तू उसको निरस्‍त करने में सफल होगी।
यह प्रभु के सेवकों की नियति#54:17 अथवा ‘पैतृक भाग’ है,
मैं उनको विजय#54:17 अथवा, ‘धार्मिक या निर्दोष सिद्ध करना’ प्रदान करता हूं।’
प्रभु यह कहता है।

वर्तमान में चयनित:

यशायाह 54: HINCLBSI

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